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27 सितंबर 2018 को भारतीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा IPC की धारा 497 को खत्म कर दिया गया है।इसके बाद कई लोग ये मानने लगे है कि शादी के बाद किसी गैर संग सबंध बनाने से उनपर और उनके रिश्ते पर कोई फर्क नही पड़ेगा या उनका पार्टनर कुछ भी नही कर पाएगा।लेकिन क्या ऐसा सच में है इसपर कोर्ट क्या कहता है और अगर आपका पार्टनर किसी और संग संबंध बना रहा है तो उस स्थिति में आप क्या कर सकते है और क्या क्या ऐसे सबूत होंगें जिनके आधार पर आप एक्शन ले सकते है।अगर इन सभी सवालों के जवाब आप भी जानना चाहते है तो बने रहिए हमारे साथ।

धारा 497 था क्या।

आपको बतादें की धारा 497 150 साल पुराना एक कानून था जो शादी के बाद बनाये गए अवैध संबंधों को अपराध की श्रेणी में लाता था।चलिए इस पूरे कानून को एक उदाहरण से समझते है। मान लीजिए प्रिया और पंकज दोनों पति पत्नी है।दोनों की लाइफ अच्छी चल रही होती है तभी प्रिया को एक लड़का मिलता है जिसका नाम रवि है।रवि अच्छा लड़का होता है दोनों में बातचीत होती है।दोनों एक दूसरे से अक्सर मिलते है और धीरे धीरे शारीरिक सम्बन्ध भी बना लेते है।अब इस बारे में प्रिया के पति पंकज को पता चल जाता है और वो धारा 497 के तहत रवि पर केस कर देता है.यहां एक बात जानना जरूरी है कि पति अपनी पत्नी पर केस नही कर सकता था लेकिन पत्नी के आशिक़,प्रर्मी या जिसके साथ वो सम्बन्ध बना रही थी उसपर केस दर्ज करा सकता था।

कानून की धारा 497 के तहत अगर पत्नी के प्रेमी पर आरोप साबित होते है तो उसे 5 साल की सजा का भी प्रावधान था।लेकिन अगर केस उल्टा जो जाए यानी कि प्रिया और पंकज में से अगर पंकज किसी दूसरी महिला संग सम्बन्ध बनाले तो इस स्थिति में पंकज की पत्नी को ये अधिकार नही था की वो उस महिला पर केश दर्ज कर सके जिसने सब कुछ जानते हुए भी उसके पति संग सम्बन्ध बनाए।इस केस में वो सिर्फ इतना कर सकती थी की वो अपने पति से तलाक ले लेती। इसके साथ ही इस कानूनअब यही पर कोर्ट को समस्या थी।

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में बनी 5 जजों की बेंच ने 27 सितंबर 2018 को जोशफ शाइन vs Union of india केस में अपना फैसला सुनाते हुए इस कानून (धारा 497) को डिक्रिमिनलाइज यानी कि आपराधिक श्रेणी से बाहर कर दिया।यानी कि इसके हटने के बाद से सिर्फ इतना हुआ की अब अगर महिला भी शादी के बाद किसी गैर संग सम्बन्ध बनाती है तो उनका पति उनके साथ सम्बन्ध बनाने वाले व्यक्ति पर केस नही कर सकता।हालांकि कोर्ट में इसे तलाक़ के लिए इसे ग्राउंड जरूर माना है।इसके साथ ही जस्टिस मिश्र और जस्टिस खानविलकर ने ये भी जोड़ा की अगर आपके सम्बन्धों के कारण आपका पार्टनर इतना दुखी हो जाता है कि वो आत्महत्या की कोशिश करता है तो उस स्थिति में आप पर हत्या के लिए उकसाने का मुकदमा चल सकता है।

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क्या अवैध संबंध बनाना नैतिक है.

इसपर अब कहेंगें की कोर्ट ने इसे अपराध नहीं बताया है और धारा 497 को खत्म कर दिया है तो अवैध सम्बन्ध बनाना बिल्कुल सही है।लेकिन ये पूरा सच नही है। धारा 497 पर जजों की इस बेंच में ही शामिल जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने कहा कि ये यानी कि शादी के बाद किसी और संग सम्बन्ध बनाना मोरली यानी नैतिक रूप से गलत है।यानी कि कोर्ट ने भी इसे नैतिक रूप से गलत माना है और हम सभी जानते है कि भारतीय शादियां तो नैतिकता पर ही आधारित है।उनका आधार ही भरोसा है। खैर धारा 497 हटने के बाद से ये मामला क्रिमिनल ओफ्फेन्स भले ही ना रहा हो लेकिन अभी भी सिविल रोंग का केस जरूर है। और इसके बेस पर आप अभी भी तलाक़ ले सकते है।

लेकिन अब सवाल ये उठता है कि तलाक़ लेने के लिए सबूत क्या देने होंगें।

देखिए इन मामलों को कोर्ट में साबित करना थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि ये सब काम बड़े ही गुपचुप तरीके से होते है। लेकिन फिरभी अगर आप कुछ सबूत जुटा ले तो आसानी से आपको चीट कर रहे पार्टनर से छुटकारा पा सकते है। ऐसी स्थिति में जब आपका पार्टनर आपको चीट कर रहा हो तो सबूत क्या क्या हो सकता है।

1- इसमें जो पहले सबूत हो सकता है आपके पार्टनर का आपत्तिजनक स्थिति में मिलना।अगर आपका पार्टनर किसी गैर के साथ रात में आपत्तिजनक स्थिति में पाया जाता है तो आप इसे सबूत के रूप में पेश कर सकती है।

2- अगर आपका पार्टनर किसी गैर संग फ़ोन पे,EMail पे,मैसेज पे,या किसी भी सोशल मीडिया पर किस गैर संग चैटिंग में उनके बीच बने सम्बन्धों की बात कर रहा हो या दोनों के रिश्तों को कबूल कर रहा हो तो भी आप इसे सबूत के तौर पर पेश कर सकते है।

3- अगर कोई गवाह है जिसने आपके पार्टनर को किसी और संग आपत्तिजनक स्थिति में देखा हो तो भी आप इसे कोर्ट में सबूत के रूप में पेश कर सकते है।

4- अंत में अगर आप 12 महीने से अधिक समय तक अपनी पत्नी से दूर है और इस दौरान अगर वो प्रग्नेंट हो जाती है और आप ये प्रूफ भी कर देते है कि आप पिछले 12 महीने में उनसे नही मिले है तो इस आधार पर भी आप उनसे तलाक़ ले सकते है।

तो अंत में इसका मोटा माटी अर्थ ये निकलता है की ipc की धारा 497 पुरुषों को महिलाओं से अधिक अधिकार देती थी adultry मामलों में जिसे कोर्ट ने खत्म कर दिया और अवैध सम्बन्धों को आपराधिक श्रेणी से दूर कर दिया। लेकिन फिरभी इसें अनैतिक करार देते हुए तलाक़ का ग्राउंड माना है।

बहरहाल से सब तो हुई कानून और धारा 497 की बात. आप इस पूरे मसले पर क्या सोचते है आप हमें कमेंट करके बता सकते है.क्या शादी के बाद किसी गैर के साथ अनैतिक संबंध जायज होने चाहिए और इससे आपके रिश्ते पर कितना फर्क पड़ेगा। अगर जानकारी पसंद आयी तो आर्टिकल को शेयर जरूर करें।

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