अल्मोड़ा के मारचुला में हुए बस हादसे ने उत्तराखंड परिवहन विभाग की व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिवहन विभाग में एआरटीओ (सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी) के 11 पद खाली होने के कारण कार्य प्रभारी अधिकारियों के सहारे ही चल रहा है। इन अधिकारियों पर दोहरी जिम्मेदारी है, जिससे न तो वाहनों की प्रवर्तन प्रक्रिया सुचारु हो पा रही है और न ही प्रशासनिक कार्य ठीक से हो पा रहे हैं।
हादसे में शामिल बस की क्षमता 43 यात्रियों की थी, लेकिन इसमें 63 से अधिक लोग सवार थे। इस ओवरलोडिंग की जांच में यह भी सवाल उठा कि क्या बस पौड़ी से रामनगर तक बिना किसी चेकिंग के आ गई। संयुक्त परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह ने कहा कि बस के सभी दस्तावेज जांच में सही पाए गए हैं, लेकिन जहां भी लापरवाही हुई है, उसकी जांच जारी है।
विभाग का कहना है कि नए एआरटीओ की नियुक्ति हो चुकी है, और प्रशिक्षण के बाद पांच से सात महीनों में नए अफसर कार्यभार संभालेंगे। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने एम्स ऋषिकेश में गंभीर घायलों से मुलाकात की और उन्हें हर संभव सहायता और बेहतर चिकित्सा देने का आश्वासन दिया। एम्स प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि घायलों की देखभाल में किसी भी प्रकार की लापरवाही न हो।