उत्तराखंड में इस साल मानसून के दौरान हुए व्यापक नुकसान की भरपाई के लिए राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने अभियान तेज कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) द्वारा पोस्ट डिजास्टर नीड्स एसेसमेंट (पीडीएनए) की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसके आधार पर केंद्र सरकार को विस्तृत प्रस्ताव भेजकर विशेष पैकेज की मांग की जाएगी, जिसमें प्रभावितों की आजीविका को भी शामिल किया जाएगा।
जिलों में क्षति का आकलन
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में सचिव विनोद कुमार सुमन की अध्यक्षता में बैठक में जिलाधिकारियों और विभागाध्यक्षों को एसडीआरएफ मद में आच्छादित और अनाच्छादित क्षति का विवरण उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए। सचिव सुमन ने कहा कि केवल एसडीआरएफ मद से नुकसान की भरपाई संभव नहीं है, इसलिए भारत सरकार से विशेष पैकेज की आवश्यकता है। इसके लिए केंद्र सरकार की टीम चार भागों में विभाजित होकर जिलों में वास्तविक क्षति का आकलन करेगी और रिपोर्ट भेजेगी।
आजीविका बहाली पर विशेष जोर
मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट कहा है कि पर्यटन, तीर्थाटन, होटल-रेस्टोरेंट, टैक्सी-ढाबा व्यवसायियों, किसानों, टूरिस्ट गाइड और अन्य प्रभावितों की आजीविका बहाल करने के लिए हरसंभव सहायता दी जाएगी। सभी जिलों को इसका आकलन कर पीडीएनए में शामिल करने का निर्देश दिया गया है।
विभागाध्यक्षों को फील्ड विजिट के निर्देश
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सभी विभागाध्यक्षों को अगले सप्ताह से फील्ड विजिट करने के निर्देश दिए हैं। पहले हफ्ते में स्वयं जिलों में रहकर समीक्षा करेंगे, जबकि बाद के हफ्तों में वरिष्ठ अधिकारी कार्य को आगे बढ़ाएंगे। जिलाधिकारियों और विभागाध्यक्षों के बीच समन्वय से समस्याओं का समाधान सुनिश्चित किया जाएगा।
पीडीएनए में आजीविका का समावेश
पीडीएनए के आकलन में प्रभावित लोगों की जीविका का भी ब्यौरा शामिल किया जाएगा। होटल, टैक्सी, ढाबा संचालक, टूरिस्ट गाइड, किसान और फल-फूल विक्रेताओं को हुए नुकसान का विवरण रिपोर्ट में दर्ज किया जाएगा।




 
									 
					


