उत्तराखंड सचिवालय में आईएएस अधिकारी और सचिव ऊर्जा आर. मीनाक्षी सुंदरम के साथ हुए अभद्र व्यवहार का मामला सामने आया है। आरोप है कि उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बाबी पंवार और उनके साथियों ने सचिवालय में सुंदरम के कक्ष में जाकर उन्हें धमकाया और दुर्व्यवहार किया। घटना बुधवार शाम करीब साढ़े छह बजे सचिवालय स्थित विश्वकर्मा भवन के कक्ष संख्या-201 में हुई। सूत्रों के अनुसार, सचिव सुंदरम अपना कामकाज देख रहे थे, तभी बाबी पंवार और उनके दो साथी सचिव से मिलने आए। सुंदरम द्वारा उन्हें कक्ष में बुलाया गया, लेकिन उनके आते ही स्थिति बिगड़ गई।

 

बताया जा रहा है कि बाबी पंवार और उनके साथियों ने भीतर आते ही सुंदरम से गाली-गलौज शुरू कर दी और उन्हें जान से मारने की धमकी दी। सचिव ने तुरंत अपने वरिष्ठ निजी सचिव कपिल कुमार और अपर निजी सचिव अनूप डंगवाल को बुलाया, ताकि आरोपितों को कक्ष से बाहर किया जा सके। परंतु, आरोप है कि इस पर बाबी पंवार और उनके साथियों ने हाथापाई भी की और धमकी देते हुए वहां से भाग निकले।

 

घटना के बाद वरिष्ठ निजी सचिव द्वारा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत दी गई, जिसके आधार पर पुलिस ने बाबी पंवार और उनके साथियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। पुलिस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच में जुट गई है।

 

घटना को लेकर आईएएस एसोसिएशन ने आपात बैठक बुलाई और इसकी निंदा की। एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से मिलकर आरोपितों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग का निर्णय लिया है। गुरुवार को सचिवालय संघ ने भी बैठक बुलाई है, जिसमें संघ के अध्यक्ष सुनील लखेड़ा ने सभी घटक संघों को बुलाकर घटना पर विचार करने की बात कही।

 

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, बाबी पंवार पर पहले से ही आठ मामले दर्ज हैं, जिनमें से चार देहरादून के विभिन्न थानों में दर्ज हैं। उन्हें इन मामलों में कोर्ट से सशर्त जमानत मिली हुई है। अब इस ताजा घटना ने प्रशासन को पुनः सोचने पर मजबूर कर दिया है कि इस तरह के मामलों पर किस प्रकार की सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

 

अधिकारी-कार्मिक-शिक्षक महासंघ ने भी इस घटना की निंदा करते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया और सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग की है। महासंघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों और सचिवालय कर्मचारियों के साथ इस प्रकार का व्यवहार स्वीकार्य नहीं है। सचिवालय संघ की बैठक में यह तय किया जाएगा कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए।

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