उत्तराखंड में जारी मूसलाधार बारिश ने एक बार फिर चारधाम यात्रा को प्रभावित किया है। पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही वर्षा के कारण कई जगहों पर भूस्खलन और सड़कों पर मलबा आने की घटनाएं सामने आई हैं। इसी कड़ी में शुक्रवार को केदारनाथ यात्रा को कुछ घंटों के लिए अस्थायी रूप से रोकना पड़ा। यह निर्णय यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया।
प्रशासन ने जैसे ही मौसम की स्थिति बिगड़ती देखी, तत्काल राहत व पुनः मार्ग खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी। भूस्खलन से प्रभावित मार्गों पर मशीनों के ज़रिए मलबा हटाने का कार्य युद्ध स्तर पर किया गया। अधिकारियों का कहना है कि यात्रियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और किसी भी प्रकार की चूक बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
केंद्रीय गृहमंत्री ने की स्थिति की समीक्षा
राज्य की जटिल होती स्थिति को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात की। बातचीत के दौरान गृह मंत्री ने राज्य में हो रही भारी बारिश और उसके कारण चारधाम यात्रा पर पड़ रहे असर की जानकारी ली। उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से हर संभव सहायता देने का आश्वासन भी दिया।
गृह मंत्री ने बताया कि चारधाम यात्रा मार्गों पर राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की टीमें तैनात की जा रही हैं। इन बलों का उद्देश्य आपातकालीन स्थिति में तेजी से राहत पहुंचाना है ताकि यात्रा को सुरक्षित व व्यवस्थित रखा जा सके। उन्होंने कहा कि तीर्थयात्रियों को किसी भी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर काम कर रही हैं।
यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि
चारधाम यात्रा, जिसमें यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम शामिल हैं, हर साल लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। लेकिन मानसून के समय इसमें बाधाएं आना आम बात है। खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण भूस्खलन और सड़कों के अवरुद्ध होने की समस्या लगातार सामने आती है।
इस बार भी मौसम विभाग ने पहले ही चेतावनी दी थी कि आगामी कुछ दिनों तक राज्य के कई क्षेत्रों में भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है। इसे ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने संवेदनशील स्थानों पर निगरानी तेज कर दी है। ड्रोन कैमरे, सीसीटीवी और मौके पर तैनात टीमों के ज़रिए हालात पर नज़र रखी जा रही है।
राहत व बचाव कार्य तेज
जहां भी रास्ते बंद हुए हैं, वहां स्थानीय प्रशासन, एसडीआरएफ, और पीडब्ल्यूडी की टीमें मलबा हटाने और रास्ता बहाल करने में जुटी हैं। यात्रा मार्गों की स्थिति की पल-पल जानकारी जुटाई जा रही है और यात्रियों को नियमित अपडेट दिया जा रहा है।
प्रशासन ने अपील की है कि यात्री मौसम की स्थिति को ध्यान में रखते हुए ही यात्रा पर निकलें। जिन इलाकों में बारिश अधिक हो रही है, वहां कुछ समय रुकने की सलाह भी दी जा रही है। इसके अलावा स्थानीय रेडियो, समाचार चैनलों और सोशल मीडिया के माध्यम से यात्रियों को ताजा जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है।
केंद्र व राज्य के बीच मजबूत समन्वय
चारधाम यात्रा के सुचारु संचालन के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर काम कर रही हैं। राज्य सरकार द्वारा तैयार आपदा प्रबंधन योजना के अंतर्गत सभी ज़रूरी संसाधनों को पहले से ही जुटा लिया गया है। केंद्रीय एजेंसियों के साथ बेहतर तालमेल के चलते राहत कार्यों में कोई देरी नहीं हो रही है।
राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि किसी भी श्रद्धालु को किसी तरह की असुविधा न हो। सभी ज़रूरी संसाधन जैसे – चिकित्सा सुविधाएं, आपातकालीन वाहन, भोजन, आश्रय स्थल आदि मुहैया कराए जाएं।
निष्कर्ष: सतर्कता ही सुरक्षा की कुंजी
उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में चारधाम यात्रा एक बड़ी धार्मिक और सामाजिक जिम्मेदारी है। मौसम की मार से निपटना एक चुनौती जरूर है, लेकिन राज्य और केंद्र सरकार मिलकर इसे सफलतापूर्वक निभा रही हैं। तैनात सुरक्षा बल, बचाव एजेंसियां और प्रशासनिक अधिकारी लगातार मौके पर निगरानी कर रहे हैं।
भविष्य में भी यदि मौसम खराब होता है, तो यात्रियों से आग्रह है कि प्रशासन के निर्देशों का पालन करें और धैर्य बनाए रखें। श्रद्धालुओं की सुरक्षा ही सर्वोच्च प्राथमिकता है, और इस दिशा में
कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है।