चारधाम यात्रा की शुरुआत हर साल बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ होती है, लेकिन इस बार यात्रियों को थोड़ा ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। पिछले साल के मुकाबले इस बार यात्रा मार्ग पर भूस्खलन यानी लैंडस्लाइड की संवेदनशील जगहों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है।
सबसे ज्यादा खतरे वाले इलाके
विशेषज्ञों और सरकार की ओर से की गई रिपोर्ट के अनुसार इस बार यात्रा मार्ग पर 100 से ज्यादा जगहों को भूस्खलन संभावित ज़ोन के तौर पर चिन्हित किया गया है। खासतौर पर रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी और चमोली जिलों में ये खतरा सबसे ज्यादा है। इन इलाकों में भारी बारिश, बर्फबारी और तेज़ हवाओं की वजह से पहाड़ खिसकने का खतरा बढ़ गया है।
केदारनाथ और बद्रीनाथ मार्ग पर सबसे ज्यादा खतरा
केदारनाथ के रास्ते में गौरीकुंड, सीतापुर और भीमबली जैसे स्थान बेहद संवेदनशील माने जा रहे हैं। वहीं बद्रीनाथ के मार्ग पर लामबगड़, पिंडरगाड़ और हनुमान चट्टी जैसे क्षेत्र ज्यादा जोखिम में हैं।
सरकार और प्रशासन की तैयारी
सरकार और प्रशासन ने इन हालात को देखते हुए यात्रा मार्गों पर विशेष निगरानी रखने और सुरक्षा व्यवस्था को और मज़बूत करने के निर्देश दिए हैं। BRO (Border Roads Organisation) और अन्य विभाग लगातार सड़कों की मरम्मत और निगरानी का काम कर रहे हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत मदद पहुंचाई जा सके।
यात्रियों के लिए सलाह
अगर आप इस साल चारधाम यात्रा की योजना बना रहे हैं तो मौसम की जानकारी लेते रहें, प्रशासन द्वारा जारी की गई सलाह का पालन करें और जोखिम वाले इलाकों में विशेष सावधानी बरतें। सुरक्षा के लिहाज़ से हेल्पलाइन नंबर, ट्रैवल अपडेट्स और स्थानीय प्रशासन की वेबसाइट की जानकारी अपने पास रखें। धार्मिक आस्था के साथ-साथ यात्रा में सुरक्षा भी उतनी ही ज़रूरी है। इसलिए श्रद्धालु सतर्क रहें और सुरक्षित यात्रा का संकल्प लेकर निकलें।
सुरक्षा के लिए सुझाव:
– मौसम की जानकारी: यात्रा से पहले और दौरान मौसम की जानकारी लेते रहें।
– प्रशासन की सलाह: प्रशासन द्वारा जारी की गई सलाह का पालन करें।
– जोखिम वाले इलाकों में सावधानी: जोखिम वाले इलाकों में विशेष सावधानी बरतें।
– हेल्पलाइन नंबर: हेल्पलाइन नंबर और ट्रैवल अपडेट्स की जानकारी अपने पास रखें।
– स्थानीय प्रशासन की वेबसाइट: स्थानीय प्रशासन की वेबसाइट की जानकारी अपने पास रखें।