उत्तराखंड के चमोली जिले के प्रसिद्ध वाण-गैरोली ट्रेक पर एक दुखद घटना ने ट्रेकिंग के रोमांच को गहरे शोक में बदल दिया। कर्नाटक की 69 वर्षीय महिला ट्रैकर, प्रेमा राजेंद्रन की शुक्रवार सुबह ट्रेकिंग के दौरान अचानक तबीयत बिगड़ने से मौत हो गई। प्रथम दृष्टया, मौत का कारण हार्ट अटैक बताया जा रहा है। मृतक महिला अपने पति और एक ट्रेकिंग समूह के साथ हिमालय की खूबसूरत वादियों में भ्रमण पर निकली थीं।

 

ट्रेक की शुरुआत

 

प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रेमा राजेंद्रन बेंगलुरु से ट्रेकिंग कंपनी ‘द माउंटेन’ के माध्यम से सात सदस्यीय ट्रेकिंग दल के साथ उत्तराखंड आई थीं। यह समूह 19 मई को बेस कैंप लोहाजंग पहुंचा। लोहाजंग समुद्र तल से लगभग 2300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यह हिमालयी ट्रेक्स के लिए एक लोकप्रिय प्रारंभिक स्थल है।

 

20 मई को यह दल दीदना गांव पहुंचा, जहाँ से ट्रेकिंग की असली शुरुआत हुई। 21 मई की सुबह सभी ट्रैकर आली बुग्याल की ओर रवाना हुए। आली बुग्याल, जो समुद्र तल से लगभग 3300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, अपने हरे-भरे मखमली घास के मैदानों और हिमालयी दृश्यों के लिए जाना जाता है। इसी क्षेत्र में उन्होंने रात्रि विश्राम किया।

 

22 मई को ट्रेकिंग समूह वेदनी बुग्याल होते हुए गैराली पातल पहुंचा, जहाँ अगली रात बिताई गई। यह पूरा इलाका हिमालय की गोद में बसा हुआ है और अत्यंत शांत, सुंदर लेकिन भौगोलिक रूप से चुनौतीपूर्ण माना जाता है।

 

अचानक तबीयत बिगड़ना और मौत

 

23 मई की सुबह करीब 10 बजे, जब पूरा दल गैराली पातल से लोहाजंग बेस कैंप लौटने के लिए वापस आ रहा था, तभी यह घटना हुई। गैरोली से लगभग दो किलोमीटर चलने के बाद, प्रेमा राजेंद्रन की अचानक तबीयत बिगड़ गई। साथी ट्रैकरों और गाइड्स ने तुरंत सहायता करने की कोशिश की, लेकिन कुछ ही मिनटों में उनका निधन हो गया।

 

वन विभाग के कर्मचारी बलवीर सिंह ने घटना की पुष्टि की और बताया कि मृतक महिला का शव ट्रेकिंग टीम और गाइड्स की मदद से नीचे लाया गया। शव को लोहाजंग लाकर स्थानीय प्रशासन को सौंपा गया। इस दौरान मृतका के पति राजेंद्र सी. भी मौजूद थे, जो इस दुखद क्षण में बेहद आहत नजर आए।

 

पर्वतीय ट्रेकिंग में जोखिम

 

यह घटना यह दर्शाती है कि पर्वतीय ट्रेकिंग जितनी रोमांचक होती है, उतनी ही जोखिमपूर्ण भी हो सकती है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो वरिष्ठ नागरिक हैं या जिन्हें पूर्व से कोई स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। ऊंचाई पर ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है, तापमान में तेजी से गिरावट होती है और शरीर पर अधिक दबाव पड़ता है। इन सभी कारणों से दिल की बीमारियों का खतरा और बढ़ जाता है।

 

ट्रेकिंग कंपनियों की जिम्मेदारी

 

इस घटना के बाद ट्रेकिंग कंपनियों की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठते हैं। क्या पहले से स्वास्थ्य जांच की गई थी? क्या ऊंचाई पर संभावित जोखिमों की जानकारी दी गई थी? क्या आपातकालीन चिकित्सा सहायता के लिए जरूरी उपकरण और योजना उपलब्ध थी?

 

हालांकि ‘द माउंटेन’ ट्रेकिंग कंपनी ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर राहत कार्य में सहयोग किया, लेकिन ऐसी घटनाओं से यह जरूरी हो जाता है कि भविष्य में किसी भी उम्र के ट्रैकर को पहले मेडिकल फिटनेस क्लियरेंस, हाई-एल्टीट्यूड ट्रेनिंग और सही गाइडलाइन उपलब्ध कराई जाए।

 

स्थानीय प्रशासन और आगे की प्रक्रिया

 

मृतका के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है और उसके बाद उसे परिजनों को सौंप दिया जाएगा। प्रशासन की ओर से जांच की जा रही है और संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई है। पुलिस और वन विभाग की टीमों ने इस प्रक्रिया को संवेदनशीलता के साथ पूरा किया।

 

एक जीवन, एक चेतावनी

 

प्रेमा राजेंद्रन एक साहसी महिला थीं, जो जीवन के इस पड़ाव पर भी नई ऊँचाइयों को छूने के लिए निकली थीं। उनका यह साहस प्रशंसनीय है, लेकिन उनकी मृत्यु पर्वतीय ट्रेकिंग से जुड़े जोखिमों की स्पष्ट चेतावनी भी देती है। स्वास्थ्य की उपेक्षा किए बिना, ट्रेकिंग जैसे साहसिक अभियानों के लिए तैया

री और सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है।

 

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