देहरादून में लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है। यहां डिलीवरी के नौ महीने बाद एक महिला की मौत पेट में संक्रमण (इंफेक्शन) बढ़ने से हो गई। जांच में पता चला कि ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों ने महिला के पेट में पट्टी छोड़ दी थी। इस गंभीर लापरवाही ने एक परिवार की खुशियां छीन लीं।
जानकारी के मुताबिक, लक्खीबाग निवासी प्रज्वल की पत्नी 26 वर्षीय ज्योति की 29 जनवरी 2025 को मदर केयर अस्पताल, डालनवाला में डिलीवरी हुई थी। ऑपरेशन के बाद ज्योति ने एक बेटी को जन्म दिया। कुछ दिन तक डॉक्टरों की निगरानी में रहने के बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया।
कुछ समय बाद ज्योति को पेट में तेज दर्द होने लगा। परिवार उसे फिर अस्पताल ले गया, जहां डॉक्टरों ने दर्द को सामान्य बताकर दवाइयां देकर घर भेज दिया। यह सिलसिला कई महीनों तक चलता रहा। दर्द बढ़ता गया, पर डॉक्टरों ने हर बार वही जवाब दिया — “सब कुछ ठीक है।”
परिजनों के अनुसार, ज्योति की हालत लगातार बिगड़ने लगी और वह रात-रात भर सो नहीं पाती थी। आखिरकार, तीन दिन पहले उसे ग्राफिक एरा अस्पताल ले जाया गया। यहां जांच के बाद डॉक्टरों ने पेट में गंभीर इंफेक्शन की पुष्टि की और तत्काल ऑपरेशन की सलाह दी।
ऑपरेशन के दौरान जब डॉक्टरों ने पेट खोला तो एक पट्टी मिली, जो पिछली डिलीवरी के समय पेट में ही छोड़ दी गई थी। यही पट्टी संक्रमण का कारण बनी। स्थिति बिगड़ने पर ज्योति ने रविवार देर रात दम तोड़ दिया।
घटना के बाद परिजनों में गुस्सा फूट पड़ा। सोमवार को ज्योति का शव लेकर परिवारजन और स्थानीय लोग मदर केयर अस्पताल के बाहर पहुंच गए और हंगामा शुरू कर दिया। उन्होंने डॉक्टरों पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए और न्याय की मांग की।
सूचना मिलने पर पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंची। इंस्पेक्टर मनोज मैनवाल ने बताया कि लोगों को समझा-बुझाकर शांत किया गया और सीएमओ को मामले की जानकारी दी गई।
सीएमओ डॉ. मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि प्राथमिक जांच के बाद मदर केयर अस्पताल का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया है और अस्पताल को सील कर दिया गया है। साथ ही एसीएमओ की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई है, जिसे जल्द रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
- इस घटना ने शहरभर में स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि जांच में डॉक्टरों की कितनी जिम्मेदारी तय होती है और दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है।