Dehradun uttrakhand। उत्तराखंड में त्योहारों, शादी-ब्याह, गृह प्रवेश और अन्य मांगलिक अवसरों पर किन्नरों द्वारा लोगों से जबरन पैसे वसूलने की घटनाएं अब पुलिस के रडार पर हैं। आमतौर पर ये वसूली “बद्दुआ देने” की धमकी के नाम पर की जाती है, जिससे आम नागरिक, खासकर महिलाएं और बुजुर्ग मानसिक दबाव में आकर भुगतान कर देते हैं। अब इस सामाजिक चुनौती से निपटने के लिए उत्तराखंड पुलिस ने सख्त रवैया अपनाया है।
पुलिस मुख्यालय ने पूरे प्रदेश के जिलों को निर्देश जारी किए हैं कि वे इस तरह की असामाजिक गतिविधियों को गंभीरता से लें और स्थानीय स्तर पर कार्रवाई करें। खास बात यह है कि पुलिस अब आम नागरिकों को भी प्रोत्साहित कर रही है कि वे इस तरह की घटनाओं की जानकारी बिना किसी डर या झिझक के हेल्पलाइन नंबरों के जरिए दें, जिससे समय रहते उचित कानूनी कार्रवाई की जा सके।
संगठन ने उठाई आवाज
इस मुद्दे को लेकर संयुक्त नागरिक संगठन के प्रतिनिधिमंडल ने अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) वी. मुरुगेशन से मुलाकात की। संगठन के प्रतिनिधियों ने बताया कि कई जगहों पर किन्नरों की टोली समूह बनाकर घरों और कार्यक्रम स्थलों पर पहुंचती है, और “शुभ-अशुभ” की आड़ में पैसों की मांग करती है। अगर मना किया जाए तो वे ज़ोर-ज़बर्दस्ती करने लगते हैं, जिससे आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
प्रतिनिधिमंडल में सचिव सुशील त्यागी सहित अन्य सदस्य शामिल थे, जिन्होंने इस मामले को पहले 27 मई को जिलाधिकारी सविन बंसल के समक्ष भी उठाया था। इसके बाद नगर मजिस्ट्रेट ने भी संबंधित थाना क्षेत्रों के पुलिस अधिकारियों को निर्देश जारी किए कि वे ऐसी जबरन वसूली की घटनाओं पर तुरंत कार्रवाई करें।
सभी जिलों से मांगी गई रिपोर्ट
पुलिस मुख्यालय ने गढ़वाल और कुमाऊं परिक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षकों (IG) और सभी जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों (SSP) को निर्देश दिए हैं कि वे स्थानीय जनप्रतिनिधियों और नागरिकों के साथ बैठकें करें और 15 दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें। रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया जाएगा कि संबंधित जिले में ऐसी गतिविधियों की स्थिति क्या है, और अब तक क्या कार्रवाई की गई है।
इस प्रक्रिया का उद्देश्य है कि प्रशासन को ज़मीनी हकीकत पता चले और पूरे राज्य में एक समान, सख्त और संवेदनशील नीति बनाई जा सके।
जागरूकता भी जरूरी
पुलिस का कहना है कि जहां कानूनी कार्रवाई जरूरी है, वहीं जनजागरूकता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। आम नागरिकों को यह जानने की ज़रूरत है कि वे ऐसे मामलों में शिकायत दर्ज करा सकते हैं और पुलिस उनकी पहचान गोपनीय रखेगी। राज्य में काम कर रहे सामाजिक संगठनों से भी अपील की गई है कि वे स्थानीय लोगों को इस विषय में जागरूक करें और ज़रूरत पड़ने पर पुलिस से संपर्क करें।
लोगों ने की प्रशासन की सराहना
इस पहल को लेकर चौधरी ओमवीर सिंह, चंद्रगुप्त विक्रम प्रकाश नागिया, मुकेश नारायण शर्मा, प्रदीप कुकरेती, एल.आर. कोठियाल, अवधेश शर्मा सहित कई अन्य समाजसेवियों ने पुलिस और प्रशासन की सक्रियता की सराहना की। उनका मानना है कि इस कदम से समाज में एक सकारात्मक संदेश जाएगा और आम जनता को राहत मिलेगी।
निष्कर्ष
- किन्नरों के अधिकारों और उनके सामाजिक सम्मान की रक्षा करना जितना जरूरी है, उतना ही ज़रूरी है कि कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा उनकी पहचान का दुरुपयोग कर आम नागरिकों को परेशान न किया जाए। पुलिस की यह पहल संतुलन की दिशा में एक सही कदम है — जिसमें जहां जरूरत है, वहां संवेदनशीलता दिखाई जा रही है, और जहां कानून का उल्लंघन हो रहा है, वहां सख्ती बरती जा रही है।