उत्तराखंड के रुड़की में डेंगू का प्रकोप बेकाबू होता जा रहा है। हरिद्वार जिले के नारसन ब्लॉक के ठस्का गांव से डेंगू के अप्रत्याशित 72 मामले सामने आ चुके हैं, जिससे क्षेत्र में हड़कंप मचा हुआ है। गांव में जलभराव की समस्या और जागरूकता की कमी इस स्थिति को और गंभीर बना रही है। स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों के बावजूद संक्रमण के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है, जिससे विभाग के दावों की वास्तविकता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
डेंगू नियंत्रण की कोशिशें नाकाफी, बढ़ती जा रही समस्या
ठस्का गांव में स्वास्थ्य विभाग पिछले दो-ढाई महीनों से डेंगू नियंत्रण के लिए बड़े पैमाने पर काम कर रहा था, जिसमें तकनीकी और मानवीय संसाधनों का भी उपयोग किया गया। शुरुआती प्रयासों के सकारात्मक परिणाम दिखने से विभाग की प्रशंसा भी हो रही थी। लेकिन जैसे-जैसे डेंगू का मौसम अपने अंतिम चरण में पहुंचा, संक्रमण के मामलों में अचानक उछाल ने प्रशासन की तैयारियों की पोल खोल दी।
प्रशासन ने तेज किए प्रयास, पर हर दिन बढ़ रहे मामले
गांव से प्रतिदिन करीब 100 लोगों के ब्लड सैंपल लिए जा रहे हैं, लेकिन डेंगू के नए मामलों की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही। स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए जिलाधिकारी और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी लगातार नजर बनाए हुए हैं। बावजूद इसके, संक्रमण को रोकने के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं, जिससे ग्रामीणों में डर और असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है।
जलभराव और जागरूकता की कमी बनी बड़ी चुनौती
जिला मलेरिया अधिकारी गुरमान सिंह ने बताया कि ठस्का गांव में पहले से ही जलभराव की समस्या गंभीर थी, जिससे मच्छरों के पनपने के हालात बने। साथ ही, डेंगू को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी ने स्थिति को और जटिल बना दिया। विभाग अब स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है, लेकिन चुनौतीपूर्ण हालात ने प्रशासन को सवालों के घेरे में ला दिया है।
इस प्रकोप ने साफ कर दिया है कि केवल कागजी तैयारियों से आपदा प्रबंधन संभव नहीं है। सिस्टम की वास्तविकता तभी उजागर होती है, जब हालात काबू से बाहर होने लगते हैं। ठस्का गांव का यह उदाहरण बताता है कि स्वास्थ्य विभाग की योजनाएं तब तक ही कारगर दिखती हैं, जब तक सबकुछ सामान्य रहता है।