उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में पिछले कुछ दिनों से जारी भारी बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह प्रभावित कर दिया है। भटवाड़ी क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश और उससे हुए भूस्खलन के कारण गंगोत्री हाईवे का लगभग 10 मीटर हिस्सा धंस गया है। इस वजह से पूरे क्षेत्र में अफरा-तफरी का माहौल बन गया है और आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया है। हाईवे का एक हिस्सा इतना कमजोर हो गया है कि उसके नदी में बह जाने का भी खतरा बना हुआ है।
घटना की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन और पुलिस की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं और स्थिति पर निगरानी रखने लगीं। वहीं, सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा हाईवे की मरम्मत और बहाली का कार्य युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया गया है। BRO की टीम लगातार काम कर रही है ताकि रास्ता जल्द से जल्द खुल सके और फंसे हुए लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके।
फंसे यात्रियों का रेस्क्यू अभियान
भूस्खलन के कारण कई वाहन बीच रास्ते में फंस गए और उसमें सवार यात्रियों को रात खुले आसमान के नीचे गुजारनी पड़ी। प्रशासन ने रेस्क्यू अभियान चलाकर उन्हें सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया। जैसे ही सड़क का कोई हिस्सा आंशिक रूप से खुलता है, वहीं से यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकालने की कोशिश की जा रही है। लगातार बारिश और कीचड़ की वजह से रेस्क्यू अभियान को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे इस मार्ग पर यात्रा करने से फिलहाल बचें और मौसम की जानकारी लेकर ही घर से निकलें। स्थानीय निवासियों को भी सतर्क रहने को कहा गया है, खासकर वे लोग जो नदी किनारे या भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में रहते हैं।
मौसम विभाग की चेतावनी
इस आपदा के बीच, मौसम विभाग ने उत्तराखंड के कई जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। देहरादून, टिहरी, नैनीताल और चंपावत जिलों में अगले कुछ दिनों तक बिजली गिरने और भारी बारिश की संभावना जताई गई है। खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में वर्षा की तीव्रता अधिक रहने की आशंका है, जिससे भूस्खलन का खतरा और भी बढ़ गया है।
मौसम विज्ञानी रोहित थपलियाल ने जानकारी दी है कि अगले पांच दिनों तक प्रदेश में भारी बारिश का सिलसिला जारी रह सकता है। खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में तेज बौछारों और बादल फटने जैसी स्थितियां बन सकती हैं। इस स्थिति को देखते हुए स्थानीय प्रशासन को अलर्ट मोड पर रखा गया है और राहत-बचाव दल पूरी तैयारी के साथ तैनात किए गए हैं।
जनजीवन प्रभावित, स्कूल बंद
भारी बारिश और सड़क बाधाओं के कारण स्थानीय जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। कई क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति ठप हो गई है और स्कूलों को एहतियातन बंद कर दिया गया है। नदियों का जलस्तर बढ़ गया है और कुछ जगहों पर जलभराव की स्थिति बन गई है।
सरकार की ओर से आपदा प्रबंधन दलों को पूरी तरह सक्रिय रखा गया है। सभी तहसीलों को निर्देश दिए गए हैं कि वे आपात स्थिति में लोगों की मदद के लिए हर समय तैयार रहें। ड्रेनेज सिस्टम की निगरानी, भू-स्खलन संभावित क्षेत्रों की समीक्षा और आवश्यक खाद्य सामग्री के भंडारण जैसे कदम तेजी से उठाए जा रहे हैं।
प्रशासन की अपील
प्रशासन ने स्पष्ट रूप से कहा है कि नागरिक अनावश्यक यात्रा से बचें, खासकर पहाड़ी मार्गों पर। आपातकालीन स्थिति में ही बाहर निकलें और हर समय मौसम विभाग की चेतावनी पर ध्यान दें। साथ ही, स्थानीय ग्राम प्रधानों और पंचायत स्तर पर भी सतर्कता बरतने को कहा गया है ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।
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निष्कर्ष:
उत्तरकाशी में मौसम की मार ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि पहाड़ी क्षेत्रों में मानसून के दौरान कितनी सतर्कता की आवश्यकता होती है। प्रशासन, BRO और राहत टीमें अपने स्तर पर हर संभव प्रयास कर रही हैं, लेकिन स्थिति की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय लोगों और यात्रियों का सहयोग भी उतना ही महत्वपूर्ण है। आने वाले दिनों में मौसम की सख्ती और बढ़ सकती है, इसलिए ज़
रूरत है सावधानी और सतर्कता की।