देहरादून: पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली की मांग को लेकर उत्तराखंड के सरकारी कर्मचारियों ने राजधानी देहरादून में विरोध मार्च निकाला। परेड मैदान से लेकर कलक्ट्रेट तक हुए इस मार्च में कर्मचारियों ने केंद्र सरकार की नई यूनिफाइड पेंशन योजना (यूपीएस) के खिलाफ आक्रोश जताया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यूपीएस से कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान होगा, क्योंकि इस योजना के तहत उनके वेतन से 10 प्रतिशत की कटौती की जाएगी, जो वापस नहीं मिलेगी।
यूनिफाइड पेंशन योजना से कर्मचारियों में असंतोष
प्रदर्शन में मौजूद पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय आंदोलन के सदस्य, प्रदेश अध्यक्ष जीतमणि पैन्यूली ने कहा कि केंद्र सरकार 1 अप्रैल 2025 से यूनिफाइड पेंशन योजना लागू करने की योजना बना रही है। इस योजना के लागू होने से विभिन्न राज्यों में तीन अलग-अलग पेंशन योजनाएं सक्रिय हो जाएंगी। कुछ कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिल रहा है, कुछ को नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) के तहत पेंशन दी जा रही है, और अब यूपीएस का नया स्वरूप लागू होने जा रहा है। पैन्यूली ने कहा कि इन सभी असमानताओं को दूर करने का एकमात्र तरीका ओपीएस की बहाली है।
पुरानी पेंशन योजना के लाभ और यूपीएस की चुनौतियां
प्रदेश महामंत्री मुकेश रतूड़ी ने यूपीएस की आलोचना करते हुए कहा कि इस योजना के तहत कर्मचारियों के वेतन से 10 प्रतिशत की कटौती तो होगी, लेकिन यह राशि वापस नहीं की जाएगी। उन्होंने बताया कि पुरानी पेंशन योजना में, जो राशि जीपीएफ में जमा होती थी, वह सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों को वापस मिल जाती थी। पहले 20 साल की सेवा के बाद पेंशन लागू हो जाती थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 25 साल कर दिया गया है। इस बदलाव से बड़ी संख्या में कर्मचारी पेंशन के लाभ से वंचित हो सकते हैं। इसके अलावा, कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का नुकसान भी झेलना पड़ेगा।
कर्मचारियों ने इन नीतिगत विसंगतियों के खिलाफ अपने आक्रोश को व्यक्त करते हुए इस मार्च का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने ओपीएस की बहाली की मांग को दोहराया।