पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर ज़िले के बेलडा गांव की महिलाओं ने एक अनोखी पहल शुरू की है, जिसमें वे कचरे को इकट्ठा करके उससे उपयोगी सामान बनाती हैं। इससे न केवल गांव साफ-सुथरा हुआ है, बल्कि महिलाओं की आमदनी का भी ज़रिया बन गया है।

शुरुआत से सफलता तक

शुरुआत में कुछ ही महिलाओं ने छोटे स्तर पर यह काम शुरू किया था, लेकिन आज 70 से ज़्यादा महिलाएं इस मुहिम से जुड़ चुकी हैं और करीब 1800 घरों में यह स्वच्छता अभियान पहुँच चुका है। महिलाएं घर-घर जाकर सूखा और गीला कचरा अलग-अलग इकट्ठा करती हैं और उसका सही तरीके से प्रबंधन करती हैं।

कचरे से उपयोगी चीजें बनाना

जैविक कचरे से खाद बनाई जाती है और प्लास्टिक जैसे रीसायक्लिंग योग्य कचरे से सजावटी या उपयोगी चीजें बनाई जाती हैं। इस काम से जुड़ी महिलाओं ने न केवल अपने परिवार की आर्थिक हालत सुधारी है, बल्कि गांव में स्वच्छता के प्रति जागरूकता भी फैलाई है।

लाखों रुपये की कमाई

अब यह महिलाएं हर महीने लाखों रुपये तक कमा रही हैं। यह सब हुआ एकजुट होकर काम करने, सोच में बदलाव लाने और पर्यावरण की चिंता करने की वजह से। बेलडा की इन महिलाओं का काम पूरे राज्य के लिए एक मिसाल बन गया है, जो दिखा रहा है कि अगर इच्छा हो तो कचरे से भी ज़िंदगी संवर सकती है।

स्वच्छता और आत्मनिर्भरता का संदेश

बेलडा गांव की महिलाओं की इस पहल ने न केवल गांव को साफ-सुथरा बनाया है, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर भी बनाया है। यह एक ऐसा मॉडल है जो अन्य गांवों और शहरों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन सकता है।

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