उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में शनिवार को एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। ऋषिकेश से उड़ान भरकर एक मरीज को लेने आ रही एम्स ऋषिकेश की हेली एंबुलेंस केदारनाथ में लैंडिंग के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गई। हेलिकॉप्टर की “हार्ड लैंडिंग” यानी तेज़ और झटके से हुई लैंडिंग के कारण यह हादसा हुआ। गनीमत रही कि हेलिकॉप्टर में सिर्फ पायलट मौजूद था और वह पूरी तरह सुरक्षित है।
एम्स ऋषिकेश के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) संदीप कुमार ने हादसे की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह हेलिकॉप्टर एम्स ऋषिकेश का था और केदारनाथ धाम से एक गंभीर मरीज को लेने जा रहा था। हेलिकॉप्टर जैसे ही केदारनाथ के हेलिपैड के पास पहुंचा, लैंडिंग के समय संतुलन बिगड़ गया और वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हेलिपैड से करीब 20 मीटर पहले यह हादसा हुआ।
इस हादसे में हेलिकॉप्टर की पूंछ यानी ‘टेल बोन’ टूट गई है, लेकिन किसी को कोई गंभीर चोट नहीं आई है। हेलिकॉप्टर में उस वक्त केवल पायलट ही सवार था। पायलट की सतर्कता और सूझबूझ की वजह से बड़ा हादसा टल गया। हादसे के बाद प्रशासन और रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंच गई और स्थिति को संभाला गया।
हेलिकॉप्टर सेवा का यह हिस्सा ‘संजीवनी’ हेलीकॉप्टर एंबुलेंस सेवा है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 अक्टूबर 2024 को लॉन्च किया था। इस सेवा का उद्देश्य पहाड़ी इलाकों में आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराना है, जहां सड़क मार्ग से मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाना मुश्किल होता है।
इस सेवा के तहत एम्स ऋषिकेश की टीम जरूरतमंद मरीजों को एयरलिफ्ट कर इलाज के लिए समय पर अस्पताल लाती है। खासकर चारधाम यात्रा जैसे व्यस्त और दुर्गम क्षेत्रों में यह सेवा जान बचाने में बहुत मददगार साबित हो रही है।
केदारनाथ धाम, जो समुद्र तल से करीब 3,583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, वहां मौसम और भौगोलिक स्थितियां अक्सर चुनौतीपूर्ण होती हैं। ऐसे में हेलिकॉप्टर की लैंडिंग भी काफी सावधानी से करनी होती है। खराब मौसम, तेज हवाएं और ऊंचाई पर हवा में ऑक्सीजन की कमी, यह सभी वजहें लैंडिंग को और कठिन बना देती हैं।
एम्स के अधिकारियों ने यह भी बताया कि हादसे की जांच की जा रही है और हेलिकॉप्टर की तकनीकी जांच भी की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सके। फिलहाल सेवा को अस्थायी रूप से रोका गया है, लेकिन जल्द ही दोबारा शुरू करने की तैयारी है।
इस हादसे ने एक बार फिर पहाड़ी इलाकों में हवाई सेवाओं की चुनौती और उसकी उपयोगिता दोनों को सामने रखा है। सरकार और प्रशासन इस तरह की सेवाओं को और बेहतर बनाने में लगे हैं ताकि दूर-दराज के मरीजों को भी समय पर इलाज मिल सके।
इस पूरी घटना में राहत की बात यही रही कि कोई जानमाल का नुकसान नहीं हुआ और पायलट सुरक्षित है। इससे हमें यह सीख भी मिलती है कि अत्याधुनिक तकनीक के साथ-साथ अनुभव और सावधानी भी ऐसी आपातकालीन सेवाओं में बहुत ज़रूरी होती है।
हेलिकॉप्टर सेवा ‘संजीवनी’ लोगों की ज़िंदगियों के लिए वरदान है और उम्मीद की जाती है कि आने वाले समय में इसे और मज़बूत और सुर
क्षित बनाया जाएगा।