lalu yadav video: Ram Vilas Paswan की मृत्यु 8 अक्टूबर 2020 को हुई थी। वे भारतीय राजनीति के प्रमुख नेताओं में से एक थे और लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी रहे। अब उन्हें गुजरे हुए पूरे 1 साल हो चुके हैं। ऐसे में सोशल मीडिया पर लालू यादव (lalu yadav) का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वह रामविलास पासवान को श्रद्धांजलि देते हुए नजर आ रहे हैं।

लालू (lalu yadav) ने की रामविलास पासवान को देशभक्त की उपाधि दिलाने की मांग

लालू यादव (lalu yadav) दिल्ली में चिराग पासवान के साथ खड़े होकर इसके जरिए उन्होंने सियासी संदेश भी देने का प्रयास किया। मीडिया कर्मियों से बात करते वक्त उन्होंनकह रामविलास पासवान (Ram vilas paswan ) जी के हमारे बीच ना होने का अफसोस मनाया और लालू यादव (lalu yadav) ने उन्हें गरीबों, दलितों, अल्पसंख्यकों का मसीहा बताया और कहा कि उनकी सारी जिम्मेदारी चिराग पासवान के ऊपर है। उन्होंने सरकार से रामविलास पासवान जी को देशभक्त की उपाधि दिलाने की भी मांग की।

देखिए वीडियो :

Ram Vilas को श्रद्धांजलि देकर, Chirag के साथ खड़े दिखे Lalu Yadav, क्या है इसके पीछे सियासी संदेश

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जानें किस कारण हुई थी रामविलास पासवान की मृत्यु

रामविलास पासवानरा (Ram vilas Paswan) की मृत्यु 8 अक्टूबर 2020 को हुई थी, और उनकी मृत्यु की पुष्टि उनके बेटे चिराग पासवान द्वारा की गई थी। पासवान की heart surgery हुई थी और उनकी मृत्यु से कुछ हफ्तों पहले उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पासवान का अंतिम संस्कार 10 अक्टूबर 2020 को पटना में किया गया था। उनके पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए लगभग 3 किमी दूर श्री कृष्ण पुरी स्थित उनके आवास से दीघा इलाके के जनार्दन घाट लाया गया था। वैसे आपको बतादे की इस वक़्त रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान की बीजपी से थोड़ी दूरियां दिख रही है वही लालू यादव के परिवार से करीबियां भी दिख रही है.

कौन थे राम विलास पासवान (who was Ram vilas Paswan )

रामविलास पासवान (Ram vilas paswan ) बिहार के राजनीति का बड़ा चेहरा थे। वो दलित राजनीति का भी बड़ा चेहरा माने जाते थे। रामविलास पासवान के बारे में एक बात प्रसिद्ध है कि वह हवा का रुख जान लेते थे यानी कि वह पहचान जाते थे कि इस बार किस पार्टी की सरकार बनने जा रही है और इस बात को आप रामविलास पासवान के राजनैतिक जीवन से भी समझ सकते हैं। उन्होंने देश के छह अलग-अलग प्रधानमंत्रियों की अलग-अलग सरकारों में काम किया और सभी की सरकार में वह कैबिनेट मंत्री रहे। चलिये को समझते हैं रामविलास पासवान के पूरे जीवन को।

बिहार की राजनीति में त्रिमूर्ति यानी कि लालू, नीतीश और रामविलास पासवान (Ram vilas paswan ) थे। रामविलास पासवान बिहार में दलित राजनीति का सबसे बड़ा चेहरा माने जाते थे। जिस वक्त बिहार में समाजवाद की लड़ाई चल रही थी तब ये तीन युवा चेहरे जमकर अपनी छाप छोड़ रहे थे। लेकिन अब इस तिकड़ी का एक हिस्सा टूट गया है। 74 साल की उम्र में रामविलास पासवान ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है।

रामविलास पासवान (Ram vilas paswan ) का जन्म 5 जुलाई 1946 को बिहार के खगरिया जिले के शहरबनी गांव में एक दलित परिवार में हुआ था रामविलास पासवान छोटी उम्र से ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे। जिस वक्त देशभर में कांग्रेस का डंका बजता था उस दौरान भी रामविलास पासवान बिहार में कर्पुरी ठाकुर, जगदेव प्रसाद और वीपी मंडल के साथ समाजवाद की लड़ाई लड़ रहे थे। रामविलास पासवान जब पहली बार विधायक बने तो वह मात्र 23 वर्ष के थे और जब से वह विधायक बने तब से कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और हमेशा बिहार की राजनीति का एक प्रमुख चेहरा बन कर रहे। उनके कद को आप इस बात से समझ सकते हैं की बाबू जगजीवन राम के बाद अगर कोई नेता बिहार में दलित राजनीति में लगातार चमकता रहा तो वह रामविलास पासवान ही थे।

पासवान साल 1969 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट से अलौली से चुनाव लड़े और यहां उन्हें जीत हासिल हुई लेकिन साल 1972 में वह चुनाव हार गए इसके बाद साल 1974 में रामविलास पासवान लोक दल में शामिल हो गए। उन्होंने आपातकाल के दौरान भी सरकार के खिलाफ आवाज उठाई। इसके बाद 1977 में वह जनता पार्टी में शामिल हो गए और हाजीपुर से जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ कर पहली बार लोकसभा पहुंचे और हाजीपुर से रामविलास पासवान को न सिर्फ जीत मिली बल्कि एक रिकॉर्ड जीत मिली उन्हें अकेले 89.3 फ़ीसदी वोट मिले।

क्योंकि साल 1980 तक जनता पार्टी लगभग बिखर चुकी थी तो रामविलास पासवान जनता पार्टी समाजवादी से चुनाव लड़े और फिर हाजीपुर सीट से लोकसभा के लिए चुने गए साल 1983 में उन्होंने दलित सेना बनाई जिसका नाम बाद में बदल कर शेड्यूल कास्ट सीना कर दिया गया लेकिन साल 1984 में रामविलास पासवान हाजीपुर से अपनी सीट गवा बैठे लेकिन 1989 में हुए चुनाव में उन्हें जीत मिली और इस बार वे वीपी सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बन गए। रामविलास पासवान ने साल 2000 में अपनी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया उसमें उन्होंने अटल बिहारी वाजपेई सरकार से इस्तीफा दे दिया जिसके बाद वे 2004 चुनाव में यूपीए में शामिल हो गए इसके बाद नरेंद्र मोदी सरकार मैं वे एनडीए में शामिल हुए और अपनी मृत्यु के समय तक कैबिनेट मंत्री रहे।

रामविलास पासवान का परिवार ( Ram vilas paswan family )

रामविलास पासवान के निजी जीवन को लेकर साल 2014 में विवाद भी हुआ जब उनके विवाह को लेकर सवाल उठे और उनके नॉमिनेशन पेपर को चैलेंज किया गया रामविलास पासवान उन्होंने बताया कि साल 1960 में उन्होंने राजकुमारी देवी से विवाह किया था जिसके साथ 1981 में उनका तलाक हो गया था जिसके बाद उन्होंने रीना शर्मा नाम की एक एयर होस्टेस से विवाह किया था रीना से उनकी शादी साल 1982 में हुई थी रामविलास पासवान ने यह भी बताया कि उनकी पहली बीवी से उनके दो बच्चे हैं जिनका नाम उषा और आशा है जबकि दूसरी बीवी से उनका एक लड़का और एक लड़की है चिराग पासवान रामविलास पासवान की दूसरी पत्नी यानी कि रीना शर्मा से पुत्र हैं।

रामविलास पासवान की मौत का क्या कारण था। ( Ram vilas paswan death reason )

74 साल की उम्र में रामविलास पासवान ने अपने सभी चाहने वालों को अलविदा कह दिया। रामविलास पासवान की मृत्यु से कुछ दिन पहले ही उनका हार्ट ऑपरेशन हुआ था, जिसके बाद उन्हें देखरेख के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था और इसी दौरान उनकी मृत्यु भी हुई।

रामविलास पासवान की शिक्षा ( Ram vilas paswan education )

रामविलास पासवान बिहार के कई बड़े नेताओं से कहीं अधिक पढ़े लिखे ( Ram vilas paswan education ) थे। साल 2016 में उन्होंने एक ट्वीट करते हुए जानकारी दी कि उन्होंने साल 1969 में डीएसपी बनने के लिए उन्होंने सिविल सर्विसेज एग्जाम पास किया था और वह पास भी हो गए थे और उसी साल वो विधानसभा चुनाव भी जीते थे। तो जब उनके दोस्त ने उनसे कहा कि तुम सरकार बनना चाहोगे या नौकर बनना चाहोगे। तो तभी उन्होंने यह तय कर लिया कि वह क्या करेंगे। रामविलास पासवान (Ram vilas paswan ) ने अपनी कानून की पढ़ाई में स्नातक की डिग्री कोशी कॉलेज खगरिया से ली थी।

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