उत्तरकाशी में भीषण आग: 9 मकान जलकर राख, 25 परिवार बेघर, एक महिला की मौत

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के मोरी तहसील के सावणी गांव में रविवार रात भीषण आग लगने से बड़ा हादसा हो गया। इस घटना में 9 मकान पूरी तरह जलकर खाक हो गए, जिससे 25 परिवार बेघर हो गए हैं। इस आग में 76 वर्षीय एक महिला की जान भी चली गई। घटना के दौरान गांव के लोग आग बुझाने में जुटे रहे, लेकिन लकड़ी से बने मकान होने के कारण आग ने बहुत तेजी से विकराल रूप धारण कर लिया।

कैसे हुई घटना?
रविवार रात करीब नौ बजे सावणी गांव में किताब सिंह के मकान में आग लगी। बताया जा रहा है कि आग पूजा के दीये से लगी और धीरे-धीरे फैलकर आसपास के मकानों को अपनी चपेट में लेती गई। सावणी गांव में घर ज्यादातर देवदार और कैल की लकड़ी से बने हुए हैं, जिससे आग तेजी से फैल गई। जैसे-जैसे आग बढ़ी, ग्रामीणों ने इसे रोकने की कोशिश की और करीब 11 बजे जिला आपदा प्रबंधन और प्रशासन को सूचना दी।

राहत और बचाव कार्य
सूचना मिलने के बाद प्रशासन हरकत में आया। जिलाधिकारी डॉ. मेहराबन सिंह बिष्ट ने राहत और बचाव कार्यों के लिए संबंधित विभागों को तत्काल मौके पर पहुंचने के निर्देश दिए। इसके अलावा गोविंद वन्य जीव विहार, टोंस वन प्रभाग, और सतलुज जल विद्युत निगम के कर्मचारियों को भी मदद के लिए बुलाया गया। हालांकि, जखोल से पांच किलोमीटर पैदल चलकर और अंधेरे के कारण राहत टीम को गांव तक पहुंचने में साढ़े तीन घंटे का समय लग गया। इसके बावजूद स्थानीय ग्रामीणों ने पहले ही कड़ी मशक्कत से रात तीन बजे तक आग पर काबू पा लिया।

कितना हुआ नुकसान?
इस घटना में 9 मकान पूरी तरह जलकर राख हो गए, जबकि 2 मकानों को आग से बचाने के लिए तोड़ा गया। इसके अलावा 3 मकानों को आंशिक रूप से तोड़ा गया। आग में इन घरों में रखा सारा सामान भी जलकर खाक हो गया। राजस्व विभाग के साथ पुलिस, एसडीआरएफ, फायर सर्विस, पशुपालन विभाग, और वन विभाग की टीमें मौके पर मौजूद रहीं।

पीड़ित परिवारों की स्थिति
इस अग्निकांड में कुल 22-25 परिवार प्रभावित हुए हैं, जिनमें से कई परिवारों के पास अब रहने का ठिकाना नहीं बचा है। आग में झुलसने से 76 वर्षीय भामा देवी की मौत हो गई है। प्रशासन ने घटना के कारणों की जांच शुरू कर दी है। पीड़ित परिवारों को राहत सामग्री और हरसंभव मदद देने का आश्वासन दिया गया है।

इससे पहले भी हुआ था बड़ा अग्निकांड
यह पहली बार नहीं है जब सावणी गांव में आग लगी हो। साल 2018 में भी यहां भीषण आग लगी थी, जिसमें 39 मकान और 100 मवेशी जलकर खाक हो गए थे। बार-बार हो रही इस तरह की घटनाओं ने गांव के लोगों की सुरक्षा और प्रशासन की तैयारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

फिलहाल, राहत और बचाव कार्य जारी है। प्रशासन का कहना है कि प्रभावित परिवारों को दोबारा बसाने और उनके जीवन को पटरी पर लाने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाएगा।

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