उत्तराखंड सरकार राज्य को चिकित्सा शिक्षा का हब बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल पर स्वास्थ्य विभाग हर जिले में एक-एक मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की योजना पर तेजी से कार्य कर रहा है। सरकार का लक्ष्य है कि प्रदेश का कोई भी युवा डॉक्टर बनने के लिए बाहर न जाए और राज्य ही चिकित्सा शिक्षा का मजबूत केंद्र बनकर उभरे।
वर्तमान में उत्तराखंड में पांच सरकारी और चार निजी मेडिकल कॉलेज संचालित हैं, जिनमें एमबीबीएस और पीजी दोनों स्तरों पर सैकड़ों सीटें उपलब्ध हैं। सरकारी मेडिकल कॉलेज श्रीनगर (गढ़वाल), हल्द्वानी, देहरादून, अल्मोड़ा और हरिद्वार में प्रतिवर्ष करीब 625 एमबीबीएस छात्रों को दाखिला मिलता है, जबकि पीजी के लिए 238 से अधिक सीटें मौजूद हैं। आने वाले समय में रुद्रपुर और पिथौरागढ़ में भी मेडिकल कॉलेज शुरू होने जा रहे हैं, जिससे प्रदेश की क्षमता और बढ़ेगी।
राज्य बनने के शुरुआती वर्षों में उत्तराखंड को चिकित्सा शिक्षा की सीमित सुविधाओं के कारण युवाओं को पड़ोसी राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता था। लेकिन बीते दो दशक में लगातार प्रयासों के बाद राज्य ने इस क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है और आज चिकित्सा शिक्षा का ढांचा तेजी से मजबूत हो रहा है।
स्वास्थ्य सचिव डॉ. राजेश कुमार के अनुसार, मुख्यमंत्री के निर्देशों पर हर जिले में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की दिशा में कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि सरकारी और निजी संस्थानों को मिलाकर फिलहाल राज्य में लगभग 1325 एमबीबीएस सीटें उपलब्ध हैं।
नर्सिंग और पैरामेडिकल शिक्षा भी हो रही मजबूत
राज्य में नर्सिंग और पैरामेडिकल सेक्टर को भी बेहद मजबूती दी जा रही है। उत्तराखंड में अब 12 सरकारी और 80 से अधिक निजी नर्सिंग कॉलेज संचालित हैं। इनमें लगभग 4,700 बीएससी नर्सिंग, 463 एमएससी नर्सिंग और 4,000 से ज्यादा सहयोगी स्वास्थ्य पाठ्यक्रमों की सीटें उपलब्ध हैं। वहीं पैरामेडिकल क्षेत्र में 12,000 से अधिक सीटें युवाओं को रोजगारपरक शिक्षा का अवसर दे रही हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार का उद्देश्य उत्तराखंड को चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का प्रमुख केंद्र बनाना है। हर जिले में गुणवत्तापूर्ण मेडिकल कॉलेज स्थापित करने से न केवल युवाओं को बाहर जाने से राहत मिलेगी, बल्कि प्रदेश स्वास्थ्य सेवाओं में भी आत्मनिर्भर बनेगा।





