उत्तराखंड के ऋषिकेश शहर में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां ब्रह्मपुरी क्षेत्र के राम तपस्थली घाट पर मंगलवार सुबह गंगा नदी के तेज बहाव में स्नान कर रहीं एक मां और उनकी बेटी बह गईं। यह हादसा उस समय हुआ जब वे दोनों मध्यप्रदेश से धार्मिक आयोजन राम कथा में भाग लेने आई थीं और कथा शुरू होने से पहले पवित्र गंगा में स्नान के लिए घाट पर पहुँची थीं।

 

सुबह करीब 6:30 बजे की बात है। शांत वातावरण और भक्तिमय माहौल के बीच मनू उपाध्याय और उनकी 18 वर्षीय बेटी गौरी उपाध्याय घाट पर स्नान कर रही थीं। लेकिन गंगा की लहरें उस समय बेहद तेज़ थीं, और देखते ही देखते मां-बेटी पानी में बहती चली गईं। वहां मौजूद अन्य श्रद्धालु जब तक कुछ समझ पाते, तब तक दोनों लहरों में लापता हो चुकी थीं।

 

मध्यप्रदेश से आई थीं रामकथा सुनने

 

जानकारी के अनुसार, मनू उपाध्याय (पत्नी मनीष उपाध्याय) और उनकी पुत्री गौरी उपाध्याय मध्यप्रदेश के कैलाश रस मोरियाना क्षेत्र से ऋषिकेश में चल रही राम कथा में भाग लेने आई थीं। कथा में शामिल होने से पहले उन्होंने गंगा में स्नान करने का निर्णय लिया, जो उनकी अंतिम धार्मिक क्रिया बन गई।

 

रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, बहाव बना चुनौती

 

हादसे की जानकारी मिलते ही पुलिस प्रशासन और एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) की टीम ने तुरंत मौके पर पहुंचकर सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया। SDRF की टीम के साथ जल पुलिस और बैराज स्टाफ भी इस अभियान में लगातार जुटे हुए हैं। हालांकि गंगा की तेज धारा के कारण रेस्क्यू कार्य में काफी दिक्कतें आ रही हैं।

 

टीमों ने हरिद्वार और अन्य नीचे के क्षेत्रों में भी सूचना भेज दी है, ताकि यदि बहाव में बहती हुई महिलाएं उन क्षेत्रों तक पहुंची हों, तो उन्हें ढूंढा जा सके। हरिद्वार क्षेत्र के जल पुलिस, सिविल प्रशासन और अन्य संबंधित विभागों को अलर्ट पर रखा गया है।

 

श्रद्धालुओं में शोक की लहर

 

यह हादसा न सिर्फ दुखद है, बल्कि उन श्रद्धालुओं के लिए भी एक चेतावनी है जो धार्मिक आस्था में डूबकर कभी-कभी सुरक्षा नियमों को नजरअंदाज कर बैठते हैं। राम तपस्थली घाट पर जहां पहले भक्ति का माहौल था, अब वहां चिंता, शोक और दुआओं का माहौल पसरा हुआ है। कथा में शामिल अन्य श्रद्धालु स्तब्ध हैं और लगातार मां-बेटी की सलामती की प्रार्थना कर रहे हैं।

 

प्रशासन की अपील – गंगा में स्नान करते समय बरतें सावधानी

 

स्थानीय प्रशासन ने घटना के बाद श्रद्धालुओं से गंगा स्नान के दौरान पूरी सतर्कता बरतने की अपील की है। विशेषकर उन स्थानों पर, जहां पानी का बहाव अधिक होता है या घाटों पर सुरक्षा प्रबंध सीमित होते हैं। प्रशासन ने यह भी कहा कि घाटों पर बनाए गए सुरक्षा संकेतों का पालन करें, और यदि संभव हो तो स्नान के लिए केवल निर्धारित सुरक्षित क्षेत्रों का ही चयन करें।

 

बारिश और पहाड़ी इलाकों में जलस्तर में बढ़ोतरी बनी कारण

 

विशेषज्ञों का मानना है कि हाल ही में उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में हुई भारी बारिश के कारण गंगा का जलस्तर बढ़ा हुआ है। इस कारण घाटों पर बहाव सामान्य से अधिक तेज हो गया है। SDRF के अधिकारी बताते हैं कि ऐसे मौसम में गंगा में उतरना बेहद जोखिम भरा हो सकता है, खासकर जब श्रद्धालु बहाव का अनुमान नहीं लगा पाते और सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल नहीं करते।

 

पहले भी हो चुके हैं ऐसे हादसे

 

गौरतलब है कि गंगा नदी में स्नान के दौरान हादसे होने की घटनाएं पहले भी सामने आती रही हैं। ऋषिकेश, हरिद्वार और आसपास के धार्मिक स्थलों पर हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। लेकिन इनमें से कुछ श्रद्धालु गहरे पानी में उतर जाते हैं या बहाव की दिशा का ध्यान नहीं रखते, जिससे जान पर बन आती है।

 

SDRF की सलाह – समूह में स्नान करें, बचाव उपकरणों का करें इस्तेमाल

 

SDRF ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि गंगा स्नान के दौरान अकेले न उतरें। यदि स्नान करना हो तो समूह में उतरें और साथ में बचाव जैकेट या रस्सियों का प्रयोग करें। साथ ही, छोटे बच्चों और बुजुर्गों को बहा

व वाले स्थानों पर जाने से रोकें।

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