एक गंभीर औद्योगिक हादसे में कई मजदूर घायल हो गए, जिनमें से कुछ की हालत अत्यंत नाजुक बनी हुई है। घटना के बाद प्रशासन तेजी से सक्रिय हुआ और जिला अस्पताल में घायलों को भर्ती कराकर उनके इलाज की व्यवस्था की गई है। इस हादसे ने न केवल सुरक्षा प्रबंधन पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि उद्योगों में श्रमिक सुरक्षा की अनदेखी को उजागर कर दिया है।
घायलों का इलाज, एक्सरे और निजी कक्ष में भर्ती
हादसे में घायल हुए मजदूरों को तुरंत जिला अस्पताल लाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद आवश्यक एक्स-रे जांच करवाई गई। डॉक्टरों की सलाह पर कुछ घायलों को बेहतर इलाज के लिए निजी कक्षों में भर्ती किया गया है, ताकि उन्हें आवश्यक चिकित्सा सहायता शीघ्र मिल सके और रिकवरी की प्रक्रिया प्रभावी ढंग से शुरू हो सके।
डीएम ने मौके पर पहुंचकर जाना हाल, दिए जांच के आदेश
जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया ने मामले को गंभीरता से लेते हुए देर रात जिला अस्पताल का दौरा किया। उन्होंने घायलों की स्थिति का जायजा लिया और चिकित्सकों से उनके इलाज की विस्तृत जानकारी प्राप्त की।
उन्होंने प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आरके सिंहा को निर्देशित किया कि घायल व्यक्तियों के इलाज में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। साथ ही, डीएम ने इस पूरे मामले की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए हैं।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि यदि जांच में किसी की भी लापरवाही सामने आती है, तो संबंधित के विरुद्ध सख्त प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी।
मृतका के पोस्टमार्टम को लेकर तनाव
हादसे में एक महिला मजदूर की मृत्यु हो गई, जिसके बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेजा। लेकिन जब पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू होने लगी, तभी मृतका के एक रिश्तेदार ने इसका विरोध करते हुए शव को सीधे घर ले जाने की जिद पकड़ ली।
इस स्थिति को लेकर मोर्चरी के बाहर तनावपूर्ण माहौल बन गया। हालांकि, पुलिस अधिकारियों ने शांति बनाए रखने के लिए हस्तक्षेप किया और परिजनों को समझा-बुझाकर स्थिति को नियंत्रण में लिया। इस घटना ने अस्पताल परिसर में मौजूद अन्य लोगों को भी क्षणिक रूप से विचलित कर दिया।
घायलों के परिजनों के लिए प्रशासन ने की व्यवस्थाएं
जिलाधिकारी के निर्देश पर जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी उमाशंकर नेगी ने तत्काल कदम उठाते हुए अस्पताल में मौजूद घायल मजदूरों के परिजनों के लिए भोजन और ठहरने की व्यवस्था की। अनुमानित रूप से करीब 25 तीमारदारों के लिए भोजन और विश्राम की उचित व्यवस्था सुनिश्चित की गई।
मौके पर एसडीएम बाजपुर डॉ. अमृता शर्मा, अन्य प्रशासनिक अधिकारी और चिकित्सक भी लगातार मौजूद रहे और स्थिति पर निगरानी बनाए रखी। वहीं, घायल प्लांट संचालक रवि नेहरा का इलाज काशीपुर के एक निजी अस्पताल में चल रहा है।
सवालों के घेरे में सुरक्षा मानक
यह हादसा न केवल मजदूरों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कई औद्योगिक इकाइयों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जा रही है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, हादसे के समय सुरक्षा उपाय पर्याप्त नहीं थे, जिससे घायलों की संख्या अधिक हुई।
अब जब मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए जा चुके हैं, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जांच में क्या निष्कर्ष निकलते हैं और प्रशासन दोषियों के खिलाफ किस स्तर की कार्रवाई करता है। यदि यह साबित होता है कि लापरवाही से यह हादसा हुआ, तो यह भविष्य में मजदूर सुरक्षा के प्रति एक बड़ा संदेश भी हो सकता है।
निष्कर्ष
इस घटना ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि औद्योगिक इकाइयों में श्रमिकों की सुरक्षा केवल दस्तावेज़ी औपचारिकता नहीं, बल्कि जमीनी हकीकत होनी चाहिए। प्रशासन की तत्परता और संवेदनशीलता प्रशंसनीय है, लेकिन असली परिवर्तन तभी संभव है जब सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए और ज़िम्मेदारों को सख्त दंड मिले।