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उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, जो बजट सत्र के दौरान अपने विवादास्पद क्षेत्रवाद संबंधी बयान के कारण सुर्खियों में आए थे, ने आखिरकार अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने यह घोषणा अपने सरकारी आवास से की और इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर अपना त्यागपत्र सौंपा। मुख्यमंत्री ने अग्रवाल के इस्तीफे को राज्यपाल के पास अग्रिम कार्रवाई के लिए भेज दिया है।

 

प्रेमचंद अग्रवाल की राजनीति में सफलता की कहानी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा उनकी बढ़ती लोकप्रियता रही है। उनकी पहचान उनकी चार बार विधायक के रूप में हुई, लेकिन उनके उग्र और उत्तेजित स्वभाव ने उनकी राजनीति में कई बार विवादों को जन्म दिया। जहां एक ओर उनकी बढ़ती लोकप्रियता ने उन्हें लगातार चुनावों में जीत दिलाई, वहीं उनका उत्तेजित और आक्रामक स्वभाव उनके लिए आत्मविनाशक साबित हुआ। बार-बार ऐसे मामलों में उलझने के कारण अंततः उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

 

प्रेमचंद अग्रवाल का राजनीतिक सफर

प्रेमचंद अग्रवाल का राजनीतिक जीवन 1980 में शुरू हुआ, जब वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के डोईवाला इकाई के अध्यक्ष बने। इसके बाद उन्होंने 1984 में डीएवी पीजी कॉलेज के ABVP इकाई के महासचिव के रूप में भी जिम्मेदारी निभाई। वे भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) और भाजपा में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। 1996 और 2000 में वे भाजपा देहरादून के जिला अध्यक्ष रहे और 2003 में व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष बने। इन वर्षों में उन्होंने क्षेत्र की राजनीति में काफी लोकप्रियता हासिल की।

 

चार बार विधायक बने, लेकिन उत्तेजित व्यवहार के कारण विवादों में घिरे

2007 में पहली बार उन्होंने ऋषिकेश विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में जीत हासिल की, और उसके बाद लगातार चार बार इस क्षेत्र से विधायक बने। हर बार उनकी जीत का अंतर बढ़ता गया, लेकिन धीरे-धीरे उनका व्यवहार भी उग्र होता गया। उनका उत्तेजित स्वभाव और विवादों में पड़ने की आदत उनके राजनीतिक करियर के लिए समस्याएं बनती गईं। कई बार उन्होंने सार्वजनिक रूप से उग्र प्रतिक्रिया दी, यहां तक कि सड़क पर लोगों के साथ हाथापाई करने तक की स्थिति उत्पन्न हो गई।

 

प्रेमचंद अग्रवाल के राजनीतिक पद और जिम्मेदारियां

– 2007: पहली बार बने विधायक, सदस्य आवास समिति विधानसभा।

– 2008:सदस्य याचिका समिति विधानसभा।

– 2009:संसदीय सचिव, औद्योगिक विकास, संबद्ध मुख्यमंत्री।

– 2012: दूसरी बार बने विधायक, सदस्य अनुसूचित जाति, जनजाति एवं विमुक्त जाति समिति विधानसभा।

– 2013:सदस्य आवास समिति विधानसभा।

– 2014:सदस्य, प्राकलन समिति विधानसभा।

– 2017:तीसरी बार विधायक बने, विधानसभा अध्यक्ष बने।

– 2017:कार्यकारी सदस्य राष्ट्रमंडलीय संसदीय संघ, भारत क्षेत्र।

– 2022: चौथी बार विधायक बने, कैबिनेट मंत्री वित्त, शहरी विकास एवं आवास, विधायी एवं संसदीय कार्य, जनगणना एवं पुनर्गठन मंत्री।

 

प्रेमचंद अग्रवाल का राजनीतिक सफर भले ही शानदार रहा हो, लेकिन उनका उग्र और उत्तेजित स्वभाव अंततः उनके लिए घातक साबित हुआ। उनके लिए यह एक चेतावनी का संकेत है कि राजनीति में सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत और रणनीति से नहीं, बल्कि संयम और शांति से भी संभव होती है।

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