उत्तरकाशी के धराली क्षेत्र में हाल ही हुई आपदा के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए, राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) जल्द ही अपने जवानों के लिए नई वर्दी पेश करेगा। इस वर्दी को विशेष रूप से कठिन और खतरनाक परिस्थितियों में बचाव कार्य के लिए डिज़ाइन किया जा रहा है। साथ ही यह जवानों की पहचान, अनुशासन और दक्षता को भी बढ़ावा देगी।
एसडीआरएफ के पुलिस महानिरीक्षक अरुण मोहन जोशी ने बताया कि वर्दी के चयन के लिए कमांडेंट अर्पण यदुवंशी की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी में पांच अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं, जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण के आधार पर ऑपरेशन वर्दी का चुनाव करेंगे।
एसडीआरएफ का गठन 2013 में केदारनाथ आपदा के बाद हुआ था। तब से जवान आधुनिक उपकरणों के बावजूद ट्रैक सूट में ही बचाव कार्य करते आए हैं। धराली आपदा के दौरान जवानों को 12 किलोमीटर पैदल चलकर राहत कार्य करना पड़ा और कई जरूरी उपकरण साथ ले जाने में कठिनाई हुई।
आईजी अरुण मोहन जोशी ने कहा कि खतरनाक रास्तों पर जवानों के हाथ खाली होने चाहिए ताकि आपात स्थिति में तुरंत मदद पहुंचाई जा सके। नई वर्दी में जेबों और अन्य सुविधाओं का ऐसा प्रबंध होगा कि जवान आसानी से सेटेलाइट फोन, छोटे कटर और मेडिकल किट जैसी जरूरी चीजें साथ ले जा सकें।
वर्दी चयन कमेटी में उप सेनानायक सुभांक रतूड़ी, सहायक सेनानायक शांतनु पाराशर, राजीव रावत, शिविरपाल, प्रभारी प्रशिक्षण प्रमोद कुमार और निरीक्षक जगदंबा प्रसाद शामिल हैं।
नई वर्दी के आने के बाद एसडीआरएफ के जवान आपदा राहत और बचाव कार्य और भी प्रभावी, सुरक्षित और तेज़ी से
कर पाएंगे।