राजधानी देहरादून में आवारा कुत्तों के लगातार हमलों से परेशान लोगों को नगर निगम जल्द ही राहत देने वाला है। निगम ने नई कार्ययोजना बनाई है, जिसमें एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) सेंटर की क्षमता बढ़ाना, कुत्ता शिकायत प्रकोष्ठ खोलना और टोल-फ्री नंबर जारी करना शामिल है।
एबीसी सेंटर होगा बड़ा
अभी एबीसी सेंटर में 70 कुत्तों को रखने की सुविधा है, जिसे बढ़ाकर 200 से ज्यादा किया जाएगा। यहां आक्रामक कुत्तों का उपचार कर केवल शांत होने पर ही उन्हें छोड़ा जाएगा।
शिकायत और निगरानी के नए इंतजाम
लोग टोल-फ्री नंबर और शिकायत प्रकोष्ठ के जरिए अपनी समस्या दर्ज करा सकेंगे। 2016 से अब तक करीब 53 हजार कुत्तों का बंध्याकरण और टीकाकरण किया जा चुका है, लेकिन लगभग 20% कुत्ते अभी भी बाकी हैं।
खिलाने वालों पर भी होगी जिम्मेदारी
निगम ने तय किया है कि जो लोग नियमित रूप से आवारा कुत्तों को खिलाते हैं, वे हमलों की स्थिति में जिम्मेदार माने जाएंगे। उन पर 1000 से 2000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा।
नई गाइडलाइन से मिली छूट
पहले निगम केवल बंध्याकरण तक ही सीमित था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की नई गाइडलाइन से अब आक्रामक कुत्तों को पकड़कर लंबे समय तक आश्रय गृह में रखा जा सकेगा।
जागरूकता और पंजीकरण अभियान
निगम शहरभर में जागरूकता अभियान चलाएगा और हर रविवार सोसाइटी में कुत्ता पंजीकरण कैंप लगाएगा। इससे खतरनाक नस्ल के कुत्तों की पहचान करना आसान होगा।
खर्च और भविष्य की योजना
पिछले 9 सालों में निगम 5.25 करोड़ रुपये नसबंदी पर खर्च कर चुका है। एक कुत्ते पर औसतन 1000 रुपये खर्च होते हैं। निगम का दावा है कि इन उपायों से जल्द ही आवारा कुत्तों की समस्या प
र काबू पाया जाएगा।







