उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल मंडलों को जोड़ने वाले एक प्रमुख पुल की हालत बेहद जर्जर हो चुकी है। प्रशासन ने इस पुल की मरम्मत के लिए सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली हैं। आगामी मंगलवार से पुल पर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह बंद कर दी जाएगी, ताकि मरम्मत का कार्य सुचारू रूप से किया जा सके। यह कार्य करीब 20 दिनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
पुल की मरम्मत की योजना को लेकर प्रशासन का कहना है कि यह कार्य अत्यधिक आवश्यक है। पुल की मौजूदा स्थिति देखते हुए यदि इसे तत्काल दुरुस्त नहीं किया गया, तो भविष्य में कोई बड़ा हादसा हो सकता है। इसी कारण से विभाग ने त्वरित मरम्मत का निर्णय लिया है।
स्थानीय लोगों की नाराजगी
हालांकि, इस मरम्मत कार्य को लेकर कई स्थानीय लोग नाराज भी हैं। उनका कहना है कि जब पुल की मरम्मत के चलते मुख्य मार्ग बंद रहेगा, तो यात्रियों और स्थानीय निवासियों के लिए वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था होनी चाहिए।
भटकोट पैदल पुल से ग्राम झल्ला तक एक पैदल मार्ग है, जिसे दुरुस्त करके दोपहिया वाहनों के लिए प्रयोग योग्य बनाने का निवेदन स्थानीय लोगों ने पहले ही किया था। इस प्रस्ताव पर संबंधित अधिकारियों ने सहमति भी जताई थी, लेकिन इसके बावजूद आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
वैकल्पिक व्यवस्था की मांग तेज
स्थानीय निवासियों की यह भी मांग है कि जब तक वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था मजबूत नहीं हो जाती, तब तक पुल की मरम्मत कार्य को टाल देना चाहिए। उनका तर्क है कि इस समय पुल बंद होने से आस-पास के गांवों का संपर्क टूट जाएगा, जिससे दैनिक जीवन और जरूरी सेवाएं प्रभावित होंगी।
प्रशासन की ओर से स्पष्टीकरण
इस विषय पर जानकारी देते हुए एनएच के अपर सहायक अभियंता दीप चौधरी ने बताया, “पुल की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। यदि समय रहते इसकी मरम्मत नहीं की गई, तो भविष्य में यह पुल किसी बड़े खतरे का कारण बन सकता है। इसलिए मंगलवार सुबह आठ बजे से पुल को सभी प्रकार के वाहनों के लिए बंद कर दिया जाएगा, और मरम्मत का कार्य शुरू किया जाएगा।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विभाग की प्राथमिकता सुरक्षा है, और मरम्मत कार्य को तेजी से पूरा किया जाएगा ताकि आमजन को ज्यादा असुविधा न हो।
ग्रामीणों की समस्याएं
पुल पर निर्भर गांवों के लोग इस निर्णय से चिंतित हैं। उन्हें डर है कि 20 दिनों तक यदि पुल पूरी तरह बंद रहा, तो न केवल स्कूल जाने वाले बच्चों और नौकरीपेशा लोगों को दिक्कत होगी, बल्कि आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं तक का रास्ता भी अवरुद्ध हो सकता है।
ग्राम झल्ला के निवासी रमेश सिंह ने बताया, “हमने कई बार अनुरोध किया कि झल्ला मार्ग को दोपहिया वाहनों के लायक बना दिया जाए, ताकि कम से कम ज़रूरी आवागमन होता रहे। लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन मिले हैं, काम कुछ नहीं हुआ।”
स्थानीय जनप्रतिनिधियों की प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी प्रशासन से अपील की है कि वैकल्पिक मार्गों को प्राथमिकता दी जाए। कुछ पंचायत सदस्यों ने कहा कि पुल की मरम्मत ज़रूरी है, लेकिन जनता की सुविधा और सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
निष्कर्ष
इस समय प्रशासन और आम जनता दोनों के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी है — एक ओर पुल की मरम्मत की तत्काल आवश्यकता है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों की सुविधा और जीवन-यापन का प्रश्न भी है। ऐसे में यह ज़रूरी हो जाता है कि प्रशासन वैकल्पिक मार्गों की शीघ्र मरम्मत या अस्थायी व्यवस्था करे, जिससे पुल की मरम्मत कार्य भी बाधित न
हो और लोगों को भी राहत मिल सके।