भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (NIH) रुड़की द्वारा विकसित “ईश्वर” नामक मोबाइल एप को मंजूरी दी है। यह एप जल स्रोतों की सटीक जानकारी और उनकी मॉनिटरिंग के लिए विकसित किया गया है। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसे उत्तराखंड, ओडिशा, मेघालय और हिमाचल प्रदेश के जल स्रोतों का सर्वे करने के लिए लागू किया जा रहा है।
प्रोजेक्ट का उद्देश्य:
देशभर में जल स्रोतों के सूखने या उनमें पानी की कमी की समस्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन इस समस्या पर सटीक आंकड़े केंद्र सरकार के पास नहीं थे। ईश्वर एप इसी कमी को पूरा करेगा। इस एप के माध्यम से हर जल स्रोत की जियो टैगिंग और फोटो के साथ उसकी स्थिति दर्ज की जाएगी। एप में करीब 22 सूचनाओं को अपलोड करना होगा, जिसमें स्रोत का हाल, पानी का स्तर, और उसकी वर्तमान स्थिति शामिल है। इन आंकड़ों की मदद से जल स्रोतों का रिचार्ज और संरक्षण किया जा सकेगा।
स्रोतों की मॉनिटरिंग:
किसी जल स्रोत के सूखने या पानी की मात्रा में कमी आने पर इस एप के जरिए तुरंत सूचना प्राप्त की जा सकेगी। उत्तराखंड के नैनीताल से इसकी शुरुआत की जा रही है, जिसके बाद अन्य राज्यों में भी यह प्रोजेक्ट लागू किया जाएगा।
पहले से हो चुके सफल प्रयोग:
NIH रुड़की के सेल फॉर स्प्रिंग के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ. सोबन सिंह रावत ने बताया कि इस एप का प्रयोग पहले हिमाचल प्रदेश के चंबा और जम्मू के तवी क्षेत्र में सफलतापूर्वक किया जा चुका है। तवी क्षेत्र में 469 और चंबा में 981 जल स्रोतों का सर्वे कर ईश्वर एप पर अपलोड किया गया है। एक क्लिक पर इन जल स्रोतों की स्थिति देखी जा सकती है।
पलायन को रोकने की कोशिश:
देशभर के पर्वतीय क्षेत्रों में जहां लोग पेयजल के लिए प्राकृतिक जल स्रोतों पर निर्भर हैं, वहां इस एप के जरिए जल स्रोतों की स्थिति को सुधारने के प्रयास किए जाएंगे। जल स्रोतों की सटीक निगरानी और उपचार से जल की समस्या का समाधान होगा और इससे पलायन को भी रोकने में मदद मिलेगी।
वैज्ञानिकों की टीम:
इस एप को तैयार करने वाली टीम में वैज्ञानिक दीपक बिष्ट भी शामिल हैं, जिन्होंने इस प्रोजेक्ट में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।