उत्तराखंड के यमुनोत्री धाम की तीर्थ यात्रा उस समय हादसे में बदल गई जब सोमवार को जानकीचट्टी से यमुनोत्री जाने वाले पैदल मार्ग पर नौकैंची के पास अचानक भूस्खलन हो गया। पहाड़ी से भारी मात्रा में बोल्डर और मलबा गिरने से यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई। हादसे में दो लोगों की मौत हो गई, जबकि एक घायल को प्राथमिक उपचार के लिए अस्पताल भेजा गया है। अभी भी दो लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका जताई जा रही है।

 

प्रशासन के अनुसार, सोमवार की शाम करीबन 5 बजे नौकैंची के पास तेज बारिश के बीच पहाड़ी दरकने लगी। इस दौरान पैदल यात्रा कर रहे कुछ लोग चट्टानों और मलबे की चपेट में आ गए। जानकारी मिलते ही एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, और स्थानीय पुलिस टीम मौके पर पहुंच गई और बचाव कार्य शुरू किया गया।

 

बारिश और अंधेरे के कारण रात करीब 9 बजे रेस्क्यू ऑपरेशन अस्थाई रूप से रोकना पड़ा। मंगलवार सुबह होते ही फिर से बचाव कार्य तेज कर दिया गया।

 

अब तक की स्थिति:

 

रेस्क्यू टीम ने सोमवार देर शाम तक दो शव बरामद किए— एक 47 वर्षीय पुरुष और एक 9 साल की बच्ची। मृतकों की पहचान हरिशंकर (पुत्र ओमप्रकाश) और उनकी बेटी ख्याति (उम्र 9 वर्ष), दोनों उत्तर प्रदेश निवासी, के रूप में हुई है। मलबे से घायल अवस्था में निकाले गए यात्री का नाम रसिकभाई (पुत्र वस राम भाई), निवासी प्रतापनगर वेस्ट मुंबई, महाराष्ट्र बताया गया है।

 

लापता यात्रियों की सूची:

 

भाविका शर्मा, उम्र 11 वर्ष, दिल्ली

 

कमलेश जेठवा, उम्र 35 वर्ष, महाराष्ट्र

 

 

दोनों के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं मिल पाई है और मलबे में दबे होने की आशंका है। प्रशासन और राहत दलों की टीमें लगातार तलाश में जुटी हुई हैं।

 

यात्रा पर अस्थाई रोक

 

यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए यमुनोत्री जाने वाले पैदल मार्ग पर यात्रा को फिलहाल रोक दिया गया है। जानकीचट्टी चौकी प्रभारी गंभीर सिंह तोमर के अनुसार, रेस्क्यू कार्य में किसी प्रकार का व्यवधान न हो, इसलिए सभी यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रोक दिया गया है। वैकल्पिक मार्ग — भंडेली गाड़ यमुनोत्री मार्ग पर आवाजाही शुरू करने पर जिला प्रशासन द्वारा निर्णय लिया जाएगा।

 

हालांकि, यह वैकल्पिक मार्ग भी काफी जोखिम भरा माना जा रहा है। इस पर करीब ढाई किलोमीटर तक का रास्ता अत्यंत संकरा और फिसलन भरा है, जो बरसात के दौरान और भी खतरनाक हो सकता है।

 

घटनास्थल का दौरा करेंगे विधायक

 

यमुनोत्री क्षेत्र के विधायक संजय डोभाल भी घटना की गंभीरता को देखते हुए मौके के लिए रवाना हो चुके हैं। वे मौके का निरीक्षण कर राहत और पुनर्वास कार्यों की निगरानी करेंगे।

 

मौसम विभाग की चेतावनी

 

मौसम विभाग ने 22 से 26 जून के बीच देहरादून, नैनीताल, टिहरी, चंपावत सहित राज्य के कई हिस्सों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। इसके मद्देनज़र राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (SEOC) ने सभी जिलाधिकारियों को सतर्क रहने और राहत टीमों को तैयार रखने के निर्देश दिए हैं। आपदा प्रबंधन से जुड़े विभागों को अलर्ट पर रखा गया है।

 

गंगोत्री हाईवे पर भी खतरा

 

चारधाम यात्रा के एक अन्य प्रमुख मार्ग गंगोत्री हाईवे पर भी संकट बना हुआ है। हर्षिल घाटी की ओर जाने से पहले “सुक्की” क्षेत्र में सात नाले हर वर्ष बरसात में सड़क को क्षतिग्रस्त करते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) द्वारा इन पर अब तक कोई ठोस सुरक्षात्मक कार्य नहीं किया गया है।

 

स्थानीय निवासी संजय राणा, मनोज नेगी, अजय नेगी और अन्य लोगों का कहना है कि ये नाले हर साल चारधाम यात्रियों, सेना, आईटीबीपी के जवानों और आसपास के गांवों के लोगों के लिए गंभीर समस्या बनते हैं। प्रशासन से बार-बार अनुरोध के बावजूद सुरक्षा उपाय अब तक नहीं किए गए।

 

 

 

निष्कर्ष:

यमुनोत्री धाम की यात्रा जहां श्रद्धालुओं के लिए आस्था का मार्ग है, वहीं मानसून के मौसम में यह एक चुनौतीपूर्ण और जोखिम भरा रास्ता भी बन जाता है। इस घटना ने न केवल मार्ग की खतरनाक स्थिति को उजागर किया है, बल्कि राहत व आपदा प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासन अब तेजी से हालात को काबू में लाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन यह जरूरी है कि भविष्य में इस तरह के हादसों से बचने के लिए स्थायी समाधान निकाला जाए।

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