हल्द्वानी के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में इस वर्ष श्रीराम और माता सीता के विवाह का मंचन कुमाऊंनी रीति-रिवाजों के अनुसार किया जाएगा। यह आयोजन लगभग 150 साल पुरानी रामलीला की परंपरा को जीवंत रखेगा। इस खास आयोजन में कुमाऊं की सांस्कृतिक धरोहर को प्रमुखता दी जाएगी, जिससे स्थानीय संस्कृति की झलक श्रीराम-सीता विवाह के रूप में देखने को मिलेगी।
कुमाऊंनी परंपराओं से संपन्न होगा विवाह
कुमाऊं क्षेत्र की परंपराएं और विवाह विधियां अपने आप में अनोखी और समय-साध्य होती हैं। पहाड़ों में विवाह की रस्में खास होती हैं, जहां वधू के घर के द्वार पर वर का स्वागत धूल्यर्घ नामक रस्म से किया जाता है। इस परंपरा के अनुसार, वधू के पिता और आचार्य वर के चरण धोकर पूजा करते हैं। इसके बाद विवाह की अन्य रस्में शुरू होती हैं, जिसमें मंगल गीतों का विशेष स्थान होता है, जिसे महिलाएं पूरे समय गाते हुए रस्मों का हिस्सा बनाती हैं।
धूमधाम से निकलेगी श्रीराम की बारात
तीन अक्टूबर को होने वाले इस आयोजन में बरेली रोड स्थित लटुरिया बाबा आश्रम से श्रीराम की भव्य बारात निकाली जाएगी। यह बारात गाजे-बाजे के साथ मुख्य मार्ग से होते हुए रामलीला मैदान पहुंचेगी। बारात के स्वागत के लिए कुमाऊंनी परिधानों में सजी महिलाएं मंचन स्थल के द्वार पर खड़ी होंगी। जैसे ही बारात मैदान में प्रवेश करेगी, धूल्यर्घ की रस्म के अनुसार श्रीराम और आचार्य का विशेष स्वागत किया जाएगा।
कुमाऊंनी विधियों से संपन्न होंगी सभी रस्में
विवाह की अन्य रस्मों का भी मंचन कुमाऊंनी परंपराओं के अनुसार किया जाएगा। श्रीरामलीला संचालन समिति ने विवाह मंचन के दौरान महिलाओं के मंगल गीत गायन के लिए एक अलग मंच तैयार किया है, जहां महिलाएं पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ शगुन आखर (मंगल गीत) गाएंगी। यह गीत विवाह की रस्मों को और भी विशेष बना देंगे।
धूल्यर्घ की रस्म की विशेषता
आचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के अनुसार, कुमाऊंनी विवाह की शुरुआत धूल्यर्घ की रस्म से होती है। इस रस्म के तहत वधू के पिता आचार्य के साथ वर का स्वागत करते हैं और विशेष चौके पर खड़े होकर वर के चरण धोते हैं। इस दौरान वर उत्तर दिशा में और आचार्य दक्षिण दिशा में खड़े होते हैं। इसके बाद गणेश पूजन और वरुण देवता की पूजा की जाती है। इसके उपरांत, कन्या का पिता अष्टांग अर्घ्य से वर का पूजन करता है और फिर वर को मंडप में ले जाता है।
इस बार हल्द्वानी की रामलीला में कुमाऊं की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं को नए अंदाज में पेश किया जाएगा, जिससे दर्शक भी यहां की संस्कृति से रूबरू हो सकेंगे।