Uttarakhand :मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में आयोजित एक विशेष बैठक के दौरान अहमदाबाद में हुए भीषण विमान हादसे में जान गंवाने वाले लोगों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान राज्य सरकार के कई वरिष्ठ प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी भी मौजूद रहे। बैठक की शुरुआत एक मिनट के मौन के साथ की गई, जिसमें मुख्यमंत्री सहित सभी अधिकारियों ने दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की।
मुख्यमंत्री धामी ने इस दुखद घटना को “देश और पूरी मानवता के लिए अत्यंत पीड़ादायक” बताते हुए कहा कि यह हादसा न केवल पीड़ित परिवारों के लिए, बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए गहरे आघात का कारण है। उन्होंने कहा, “हम उन सभी लोगों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करते हैं जिन्होंने इस त्रासदी में अपने प्रियजनों को खोया है। यह हादसा हम सबके दिलों को झकझोर देने वाला है।”
मानवीय पहलू को रखा केंद्र में
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में यह भी स्पष्ट किया कि केवल संवेदनाएं प्रकट करना ही काफी नहीं है, बल्कि ज़रूरत इस बात की है कि ऐसे हादसों से सीख लेकर भविष्य में सुरक्षा मानकों को और अधिक सुदृढ़ किया जाए। उन्होंने अधिकारियों से यह आग्रह किया कि केंद्र सरकार के साथ समन्वय बनाते हुए उत्तराखंड की ओर से हर संभव सहायता प्रदान की जाए, विशेषकर उन परिवारों को जो किसी न किसी रूप में इस हादसे से प्रभावित हुए हैं।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि यदि उत्तराखंड राज्य का कोई नागरिक इस विमान हादसे में हताहत हुआ है, तो राज्य सरकार उस परिवार को हरसंभव सहायता देगी, चाहे वह आर्थिक हो या मानसिक संबल की।
विमान हादसे की पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरने वाला एयर इंडिया का एक बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान टेक-ऑफ के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में विमान में सवार सभी 242 यात्रियों की दुखद मृत्यु हो गई, जिनमें से कई प्रतिष्ठित व्यक्ति और विदेशी नागरिक भी शामिल थे। यह घटना भारत के नागरिक विमानन इतिहास की सबसे भयावह घटनाओं में से एक मानी जा रही है।
इस दुर्घटना ने न केवल देश को बल्कि वैश्विक समुदाय को भी झकझोर दिया है। कई देशों ने इस हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया है और भारत सरकार के साथ मिलकर राहत और जांच कार्यों में सहयोग का भरोसा दिलाया है।
सामूहिक शोक की भावना
मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “जब किसी देश में इस प्रकार की त्रासदी घटती है, तो वह केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं रहती। वह लोगों की भावनाओं, रिश्तों और उम्मीदों को भी साथ लेकर जाती है। हम इस दुख की घड़ी में सभी पीड़ित परिवारों के साथ हैं और प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर उन्हें इस अपार दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करें।”
राज्य के विभिन्न जिलों में भी इस हादसे को लेकर शोक व्यक्त किया गया। कई सरकारी कार्यालयों में झंडे झुकाए गए और विभिन्न धार्मिक स्थलों पर मृतकों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थनाएं की गईं।
सुरक्षा मानकों की समीक्षा की मांग
मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि नागरिक विमानन क्षेत्र में तकनीकी जांच और सुरक्षा मानकों की गहन समीक्षा की जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। उन्होंने यह भी प्रस्ताव रखा कि राज्य सरकार अपने स्तर पर भी विशेष समीक्षा समिति का गठन करेगी, जो उत्तराखंड में हवाई सेवाओं की वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट तैयार करेगी।
राहत और पुनर्वास की दिशा में कदम
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि यदि उत्तराखंड राज्य के किसी नागरिक की इस दुर्घटना में मृत्यु की पुष्टि होती है, तो उसके परिजनों को राज्य सरकार की ओर से विशेष राहत पैकेज उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अतिरिक्त, परामर्शदाताओं और मनोवैज्ञानिकों की एक टीम भी ऐसे परिवारों से संपर्क साधेगी, ताकि वे मानसिक रूप से इस दुःख से उबर सकें।
संवेदनशील नेतृत्व की मिसाल
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना को केवल एक प्रशासनिक जिम्मेदारी के रूप में नहीं, बल्कि एक मानवीय दायित्व के रूप में लिया है। उनकी ओर से दिए गए निर्देश और संवेदनशीलता यह दर्शाते हैं कि उत्तराखंड सरकार केवल विकास के कार्यों में ही नहीं, बल्कि आपदाओं और विपत्तियों की घड़ी में भी राज्य के नागरिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहती है।
विमान हादसे ने न केवल देश की भावनाओं को झकझोरा है, बल्कि एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर किया है कि आधुनिक तकनीक और तेज़ी से बढ़ते यातायात साधनों के बीच सुरक्षा और मानवीय संवेदनाओं का संतुलन कितना आवश्यक है। मुख्यमंत्री धामी की पहल इस दिशा में एक सकारात्मक और संवेदनशील कदम माना जा सकता है, जो अन्य राज्यों
के लिए भी एक उदाहरण बन सकता है।