मह की कीमतों में 30 से 40 रुपये प्रति लीटर तक की वृद्धि से आम जनता की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सर्दियों के मौसम की सब्जियों की उपलब्धता में कमी और मंडी में पहले से ही महंगे दामों ने लोगों की जेबों पर अतिरिक्त दबाव डाल दिया है। अब तो रसोई का बजट दोगुने खर्च के बावजूद संभालना मुश्किल हो गया है।
आटा और दालों के बढ़ते दामों से घर का बजट गड़बड़ा गया
दाल और आटे की कीमतों में 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। 15 दिन पहले तक सरसों का तेल 130 रुपये प्रति लीटर मिल रहा था, लेकिन अब इसकी कीमत 157 रुपये प्रति लीटर तक पहुँच गई है। चना दाल भी 100 रुपये प्रति किलो से ऊपर चली गई है। 95 रुपये प्रति किलो मिलने वाली यह दाल अब 115 रुपये तक पहुँच चुकी है। अरहर की दाल, जो सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाती है, अब 200 रुपये प्रति किलो तक मिल रही है, जबकि पहले यह 180 रुपये किलो मिल रही थी। आटे की कीमत में भी वृद्धि हुई है; पहले 10 किलो का आटा 380 रुपये में मिल रहा था, जो अब 400 रुपये के पार हो चुका है।
सब्जियों के दाम आसमान पर, जनता परेशान
मंडी में सब्जियों के दाम भी रिकॉर्ड स्तर पर हैं। लहसुन 300 से 400 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है, जबकि प्याज की कीमत 70 रुपये प्रति किलो तक पहुँच गई है। आलू 40 रुपये, गोभी 100 रुपये, शिमला मिर्च 100 रुपये, लौकी 80 रुपये, और खीरा 100 रुपये प्रति किलो तक बिक रहे हैं। टमाटर की कीमत भी 60 रुपये प्रति किलो हो गई है, जिससे आम जनता के लिए सब्जी खरीदना भी भारी पड़ रहा है।
कस्टम ड्यूटी में बढ़ोतरी से खाद्य तेलों के दामों में उछाल
आढ़त बाजार, देहरादून के थोक व्यापारी विनोद कुमार गोयल के अनुसार, कुछ दिनों पहले केंद्र सरकार ने क्रूड ऑयल पर कस्टम ड्यूटी को शून्य से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया है, जबकि रिफाइंड ऑयल पर यह बढ़कर 35.7 प्रतिशत हो गई है। इससे खाद्य तेलों की कीमतों में उछाल देखने को मिल रहा है, जो सीधे तौर पर आम लोगों की जेब पर भारी पड़ रहा है।