उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में एक दर्दनाक हादसा पेश आया, जब ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित घोलतीर के पास एक टूरिस्ट बस अनियंत्रित होकर गहरी खाई में गिर गई और अलकनंदा नदी में समा गई। यह घटना शुक्रवार सुबह लगभग 7:30 बजे की है। बस में कुल 20 लोग सवार थे, जिनमें 18 तीर्थयात्री, एक गाइड और चालक शामिल थे। तीर्थयात्री राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से आए हुए थे और सभी बदरीनाथ धाम की यात्रा पर निकले थे।

 

कैसे हुआ हादसा

 

प्रत्यक्षदर्शियों और पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह बस रुद्रप्रयाग से लगभग 14 किलोमीटर आगे घोलतीर के पास तीखे मोड़ पर नियंत्रण खो बैठी। बताया जा रहा है कि मोड़ पर चालक की थोड़ी सी चूक बस को खाई में ले गई। गहरी खाई से होकर बहती अलकनंदा नदी तक पहुंचने के बाद बस पूरी तरह जलमग्न हो गई। कुछ यात्री बस से छिटककर बाहर गिर गए, जबकि बाकी वाहन के साथ नदी में बह गए।

 

स्थानीय लोगों ने दिखाई हिम्मत

 

हादसे के तुरंत बाद स्थानीय ग्रामीण मौके पर पहुंचे और राहत-बचाव कार्य शुरू कर दिया। विशेष रूप से भटवाड़ी गांव के शिक्षक सत्येंद्र सिंह भंडारी ने प्रशासन को सबसे पहले सूचना दी और खुद भी रेस्क्यू में सक्रिय भूमिका निभाई। हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस, प्रशासन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी और सेना की टीमें मौके पर पहुंचीं और तलाशी अभियान शुरू किया गया।

 

रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी टीमें

 

रेस्क्यू अभियान के तहत रस्सियों, क्रेनों और विशेष उपकरणों की मदद से खाई में उतरकर यात्रियों की तलाश की गई। नदी के दोनों किनारों पर व्यापक तलाशी अभियान चलाया गया। हेलिकॉप्टर के जरिए भी निगरानी की गई और कुछ घायल यात्रियों को तुरंत हेली एम्बुलेंस के ज़रिए ऋषिकेश एम्स भेजा गया। अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से तीन शव घटना वाले दिन बरामद किए गए थे, जबकि एक शव रतूड़ा क्षेत्र से अगले दिन मिला। इसके अलावा आठ लोग घायल हुए हैं, जिनमें दो बच्चे भी शामिल हैं।

 

घायलों का इलाज

 

घायलों में से चार की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिन्हें तत्काल हेली सेवा से ऋषिकेश एम्स रेफर किया गया। शेष घायलों का उपचार जिला अस्पताल में जारी है। अस्पताल में भर्ती यात्रियों की पहचान की प्रक्रिया जारी है और उनके परिजनों को सूचना दी जा रही है।

 

जिलाधिकारी ने की स्थिति की समीक्षा

 

जिलाधिकारी प्रतीक जैन स्वयं मौके पर पहुंचे और पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन की निगरानी की। इसके बाद वे अस्पताल गए और घायलों से मिलकर उनका हालचाल जाना। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि लापता यात्रियों की खोज में किसी भी प्रकार की कमी न रहने पाए।

 

अब भी लापता हैं 8 लोग

 

अब भी बस समेत आठ लोगों का कोई पता नहीं चल पाया है। तेज बहाव और खड़ी चट्टानों के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में भारी दिक्कतें आ रही हैं। ऐसे में प्रशासन ने पूरे क्षेत्र में अलर्ट जारी किया है और नदी के किनारों पर भी निगरानी बढ़ा दी गई है।

 

तीर्थयात्रा व्यवस्था पर सवाल

 

यह हादसा एक बार फिर उत्तराखंड में तीर्थयात्रा सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है। यात्रियों की संख्या, वाहन की हालत, चालक की दक्षता और मार्ग की खतरनाक स्थिति जैसे तमाम पहलुओं पर जांच शुरू कर दी गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि पहाड़ी मार्गों पर ड्राइवरों को विशेष प्रशिक्षण और अनुभव की जरूरत होती है, खासकर जब तीर्थयात्रा के समय हजारों वाहन इन सड़कों पर दौड़ते हैं।

 

सरकार की प्रतिक्रिया

 

उत्तराखंड सरकार ने हादसे पर शोक व्यक्त किया है और मृतकों के परिजनों को मुआवज़े की घोषणा की है। साथ ही राज्य के परिवहन विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि वह सभी धार्मिक मार्गों पर चलने वाले वाहनों की तकनीकी जांच सुनिश्चित करे। मुख्यमंत्री की ओर से कहा गया है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और रूट की संरचना ए

वं सुरक्षा की समीक्षा की जाएगी।

 

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