देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा का चार दिवसीय मानसून सत्र विपक्षी हंगामे की भेंट चढ़ गया। शोरगुल और नारेबाजी के बीच मात्र 2 घंटे 40 मिनट की कार्यवाही हो पाई। इसी दौरान 5315 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट और आठ विधेयक पास कर दिए गए। दूसरे ही दिन सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।
गौरतलब है कि वर्ष 2014 में पहली बार गैरसैंण में टेंट में विधानसभा सत्र आयोजित हुआ था और भराड़ीसैंण में विधानसभा भवन का शिलान्यास पशुपालन विभाग की भूमि पर किया गया था। ग्यारह साल बीत जाने के बावजूद यहां अब तक केवल 10 सत्र ही हो पाए हैं, जिनकी कुल अवधि 35 दिन रही।
राजनीतिक दलों की ओर से गैरसैंण को लेकर बड़े वादे तो किए गए, लेकिन व्यवहार में यहां सदन चलाने की गंभीरता दोनों पक्षों में समान रूप से कम ही दिखी। अक्सर यहां की पटकथा पहले से तय मानी जाती है—सरकार सत्र बुलाती है, विपक्ष हंगामा करता है और अंत में सत्र स्थगित हो जाता है। इस बार भी नजारा कुछ ऐसा ही रहा।
पहली बार बिना चर्चा समाप्त हुआ सत्र
राज्य गठन के बाद विधानसभा के इतिहास में यह पहला मौका है जब कोई सत्र बिना किसी चर्चा के समाप्त हो गया। न तो प्रश्नकाल हो पाया और न ही नियम-58, नियम-53 और नियम-300 के तहत कोई कार्यवाही हो सकी। इससे राज्य के आपदा, कानून व्यवस्था और अन्य अहम मुद्दे चर्चा से बाहर रह गए।
किस सरकार में कितने दिन चला भराड़ीसैंण सत्र
अब तक यहां कांग्रेस सरकार में तीन और भाजपा सरकार में छह सत्र हुए हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार में सबसे अधिक 19 दिन कार्यवाही चली। हरीश रावत सरकार में कुल चार दिन, विजय बहुगुणा सरकार में तीन दिन और पुष्कर सिंह धामी सरकार में दो बार सात-सात दिन के सत्र आयोजित हुए।
भराड़ीसैंण सत्र का रिकॉर्ड
09 जून 2014 – 03 दिन
02 नवंबर 2015 – 02 दिन
17 नवंबर 2016 – 02 दिन
07 दिसंबर 2017 – 02 दिन
20 मार्च 2018 – 06 दिन
03 मार्च 2020 – 05 दिन
01 मार्च 2021 – 06 दिन
13 मार्च 2023 – 04 दिन
21 अगस्त 2024 –
03 दिन
19 अगस्त 2025 – 02 दिन