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उत्तराखंड में सोलर प्रोजेक्ट पर काम करने वाली 12 कंपनियों को बड़ा झटका लगा है। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने इन कंपनियों की सौर परियोजनाओं के आवंटन को पहले रद्द किया था और अब उनकी पुनर्विचार याचिका को भी खारिज कर दिया है।

 

साल 2019-20 में उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा अभिकरण (UREDA) ने पुरानी सौर ऊर्जा नीति 2013 के तहत इन कंपनियों को टेंडर के माध्यम से प्रोजेक्ट दिए थे। कोविड के चलते समय सीमा बढ़ाई गई, पहले मार्च 2024 तक और फिर दिसंबर 2024 तक, लेकिन निर्माण में प्रगति नहीं हुई।

 

जब कंपनियों ने और समय मांगा, तो उरेडा ने मामला नियामक आयोग में रखा। जांच में पता चला कि कुछ कंपनियों ने एक ही जमीन के अलग-अलग सिरे से लोकेशन दिखाकर गूगल मैपिंग कर दी थी। दो कंपनियों ने एक ही खाते को लीज दस्तावेज में दिखाया। इस आधार पर आयोग ने मार्च 2025 में आवंटन रद्द कर दिया।

 

बाद में सभी कंपनियों ने पुनर्विचार याचिका लगाई, लेकिन आयोग ने पाया कि कोई भी नई और ठोस जानकारी पेश नहीं की गई। न तो जमीन पूरी थी और न ही बैंक से लोन की प्रक्रिया पूरी हुई थी। इसलिए आयोग की पीठ ने सभी याचिकाएं खारिज कर दीं।

 

जिन कंपनियों की परियोजनाएं रद्द की गईं:

 

PPM Solar Energy, AR Sun Tech, Pashupati Solar Energy, Doon Valley Solar Power, Madan Singh Jeena, Dardaur Technology, SRA Solar Energy, Priscky Technology, Harshit Solar Energy, GCS Solar Energy, Devendra & Sons Energy, Dailyhunt Energy.

 

राज्य के लक्ष्य को नुकसान

 

हाल ही में लागू हुई नई सौर ऊर्जा नीति 2023 के तहत, उत्तराखंड को दिसंबर 2027 तक 2500 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य हासिल करना है। इन 12 परियोजनाओं के रद्द होने से करीब 15.5 मेगावाट की क्षति हुई है। हालांकि, समय पर प्रोजेक्ट शुरू न होने से यूपीसीएल को पुरानी दरों पर बिजली खरीदने से बचाव हुआ है, जो राज्य के लिए घाटे

का सौदा होता।

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