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घायलों को मिलेगा तत्काल बेहतर इलाज, ट्रॉमा नेटवर्क स्थापित करने की प्रक्रिया तेज

सड़क दुर्घटनाओं और आपातकालीन स्थितियों में घायलों को तुरंत और प्रभावी इलाज उपलब्ध कराने के लिए राज्य में ट्रॉमा नेटवर्क स्थापित करने की कवायद तेज हो गई है। इस दिशा में मंगलवार को राज्य स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केंद्र (एसएचएसआरसी) में महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में अस्पतालों की जीपीएस मैपिंग और एक विशेष एप विकसित करने की रणनीति पर चर्चा की गई।

अस्पतालों की मैपिंग और एप विकास पर जोर

बैठक की अध्यक्षता कर रहीं एसएचएसआरसी की कार्यकारी निदेशक एवं अपर सचिव स्वाति भदौरिया ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सरकारी और निजी अस्पतालों की जीपीएस आधारित मैपिंग शीघ्र पूरी की जाए। उन्होंने बताया कि इस नेटवर्क से जुड़े एप के जरिए घटना स्थल के नजदीकी अस्पतालों को तुरंत अलर्ट भेजा जाएगा। इससे वहां के मेडिकल स्टाफ को समय पर तैयारी का मौका मिलेगा, जिससे घायलों को बेहतर और त्वरित उपचार मिल सकेगा।

एम्स और चिकित्सा विश्वविद्यालय का सहयोग

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के सभागार में हुई इस बैठक में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश और हेमवती नंदन बहुगुणा चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के समन्वय से ट्रॉमा नेटवर्क की योजना तैयार की गई। एम्स के ट्रॉमा विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मधुर उनियाल ने इस दिशा में भावी रणनीति प्रस्तुत की।

पैरामेडिकल स्टाफ और सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण

एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मदन लाल ब्रह्म भट्ट ने सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और पैरामेडिकल स्टाफ को ट्रॉमा केयर का विशेष प्रशिक्षण देने पर जोर दिया। इसके अलावा, 108 एंबुलेंस सेवा के पैरामेडिक्स को भी इस नेटवर्क का हिस्सा बनाते हुए उन्हें नए तरीके से प्रशिक्षित किया जाएगा।

क्या होगा एप के जरिए?

घटना स्थल पर घायलों को सही समय पर उपचार देने के लिए यह एप महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। एप की मदद से नजदीकी अस्पतालों को तुरंत अलर्ट भेजा जाएगा और डॉक्टर तथा मेडिकल स्टाफ आवश्यक तैयारी कर सकेंगे। इसके साथ ही, एंबुलेंस सेवा को भी अस्पतालों की मैपिंग उपलब्ध कराई जाएगी ताकि मरीज को जल्द से जल्द सही जगह पहुंचाया जा सके।

उच्चस्तरीय चर्चा में स्वास्थ्य विशेषज्ञों की भागीदारी

बैठक में कार्यकारी निदेशक स्वाति भदौरिया के साथ स्वास्थ्य सलाहकार डॉ. तृप्ति बहुगुणा, निदेशक डॉ. सुनीता टम्टा, सहायक निदेशक डॉ. कुलदीप मारतोलिया, डॉ. हितेंदर सिंह, और डॉ. सुजाता सहित कई विशेषज्ञों ने भाग लिया। सभी ने ट्रॉमा नेटवर्क के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए अपने विचार साझा किए।

प्रदेश को मिलेगा पहला प्रभावी ट्रॉमा नेटवर्क

यह ट्रॉमा नेटवर्क न केवल इलाज की गुणवत्ता में सुधार करेगा, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्यु दर को भी कम करने में मददगार साबित होगा। सरकार और स्वास्थ्य विभाग की इस पहल से प्रदेश में आपात चिकित्सा सेवाओं को नई दिशा मिलेगी।

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