उत्तराखंड सरकार ने राज्य के युवाओं के लिए एक बड़ा और प्रभावी कदम उठाया है, जिसका उद्देश्य है उन्हें आधुनिक तकनीकी और व्यावसायिक कौशल से लैस कर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना। यह पहल न केवल युवाओं को सशक्त बनाएगी, बल्कि उत्तराखंड के औद्योगिक परिदृश्य को भी नया आयाम देगी।
सरकार की इस नई योजना का नेतृत्व कर रहा है स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर एंपावरिंग एंड ट्रांसफॉर्मिंग उत्तराखंड (सेतु आयोग), जो राज्य के विकास की दिशा में लगातार सक्रिय भूमिका निभा रहा है। इस योजना के तहत सरकार देश के प्रतिष्ठित औद्योगिक समूहों के साथ साझेदारी कर रही है।
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ताज समूह द्वारा कौशल केंद्र की स्थापना
होटल और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में अग्रणी ताज ग्रुप ऑफ होटल्स अब उत्तराखंड के युवाओं को आतिथ्य क्षेत्र में प्रशिक्षण देने के लिए आगे आया है। ताज समूह कुमाऊं विश्वविद्यालय में एक विशेष कौशल विकास केंद्र की स्थापना करेगा, जहां स्थानीय युवाओं को होटल प्रबंधन, गेस्ट हैंडलिंग, किचन ऑपरेशन्स, हाउसकीपिंग और अन्य आवश्यक दक्षताओं में प्रशिक्षित किया जाएगा।
इस प्रशिक्षण के बाद 70% से अधिक युवाओं को ताज समूह में ही नौकरी मिलने की संभावना है, जिससे न केवल उन्हें रोजगार मिलेगा, बल्कि उनके करियर को एक मजबूत शुरुआत भी मिलेगी। ताज समूह की यह भागीदारी पर्यटन आधारित राज्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
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आईटीआई छात्रों के लिए उद्योग आधारित प्रशिक्षण
केवल हॉस्पिटैलिटी ही नहीं, बल्कि ऑटोमोबाइल क्षेत्र की प्रमुख कंपनियां – टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा और हीरो मोटर्स – भी इस पहल में भाग ले रही हैं। ये कंपनियां आईटीआई (औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान) के छात्रों को अपने-अपने औद्योगिक केंद्रों में व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करेंगी।
यह प्रशिक्षण उन छात्रों को मिलेगा, जिन्होंने आईटीआई का कम से कम एक वर्ष पूरा कर लिया है। उन्हें सीधे कंपनी के उत्पादन इकाइयों और प्रयोगशालाओं में काम करने का अनुभव मिलेगा, जिससे उनके तकनीकी कौशल में व्यावहारिक सुधार होगा।
प्रशिक्षण के दौरान छात्रों को स्टाइपेंड (वृत्तिपरक भत्ता) भी दिया जाएगा। स्टाइपेंड की राशि औद्योगिक समूहों और राज्य सरकार के बीच होने वाले एमओयू (सहयोग ज्ञापन) के बाद तय की जाएगी।
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टाटा मोटर्स और अन्य समूहों से साझेदारी
टाटा मोटर्स के साथ राज्य सरकार की बातचीत अंतिम चरण में है और जल्द ही समझौता हस्ताक्षरित हो सकता है। इसके अलावा महिंद्रा और हीरो मोटर्स से भी सहमति प्राप्त हो चुकी है। इन कंपनियों की भागीदारी उत्तराखंड के युवाओं को ऑटोमोबाइल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और अन्य तकनीकी क्षेत्रों में रोजगार के लिए तैयार करेगी।
इस पहल के जरिए छात्र केवल अकादमिक ज्ञान तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि उन्हें मशीनों, टूल्स और उत्पादन प्रक्रियाओं से सीधे जुड़ने का अनुभव भी मिलेगा।
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राज्य सरकार का उद्देश्य और विजन
राज्य सरकार का स्पष्ट उद्देश्य है कि उत्तराखंड के युवाओं को केवल डिग्री नहीं, बल्कि व्यावसायिक दक्षता और आत्मनिर्भरता प्रदान की जाए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में यह पहल युवाओं को स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर रोजगार दिलाने की दिशा में एक ठोस कदम है।
सरकार चाहती है कि युवा सिर्फ नौकरी तलाशने वाले न बनें, बल्कि स्वावलंबी और प्रशिक्षित कामगार बनें, जो जहां चाहें, वहां अपने कौशल के दम पर काम कर सकें।
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सेतु आयोग की भूमिका
इस पूरे कार्यक्रम की निगरानी और संचालन कर रहा है सेतु आयोग, जो युवाओं को आधुनिक संसाधनों, प्रशिक्षकों और अवसरों से जोड़ने का कार्य कर रहा है। आयोग का मानना है कि अगर युवा कौशलयुक्त होंगे तो उन्हें नौकरी की चिंता नहीं सताएगी और वे आत्मविश्वास से भरपूर समाज के निर्माण में भागीदार बन सकेंगे।
सेतु के अनुसार,
> “राज्य में प्रशिक्षित श्रमिकों की हमेशा मांग रही है। अब समय है कि उत्तराखंड के युवाओं को अपने राज्य में ही ऐसा मंच मिले जहां वे सीखें, संवरें और यहीं रहकर राष्ट्र निर्माण में सहयोग करें।”
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भविष्य की संभावना
इस पहल को लेकर उम्मीद जताई जा रही है कि यह सिर्फ एक शुरुआत है। आने वाले समय में और भी उद्योग, तकनीकी संस्थान और बहुराष्ट्रीय कंपनियां उत्तराखंड के युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए आगे आ सकती हैं।
इस योजना से स्थानीय रोजगार में वृद्धि, माइग्रेशन में कमी और राज्य की आर्थिक संरचना में मजबूती आने की पूरी संभावना है।
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निष्कर्ष
उत्तराखंड सरकार द्वारा शुरू की गई यह कौशल विकास पहल न केवल युवाओं को तकनीकी रूप से सशक्त बनाएगी, बल्कि राज्य के औद्योगिक भविष्य को भी मजबूती देगी। यह कदम युवाओं को रोजगार की चिंता से मुक्त कर उन्हें आत्मनिर्भरता की राह पर ले जाएगा।
ऐसी योजनाएं वास्तव में “विकास के साथ विश्वास” की भावना को आगे बढ़ाती हैं
और उत्तराखंड को आत्मनिर्भर भारत की दिशा में मजबूत आधार प्रदान करती हैं।