हरिद्वार: जनपद हरिद्वार में शुक्रवार को मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) आकांक्षा कोंडे की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक का उद्देश्य यूनिफार्म सिविल कोड (यूसीसी) के कार्यान्वयन की प्रगति और नीति आयोग द्वारा प्रायोजित खेल उदय कार्यक्रम की वर्तमान स्थिति की गहन समीक्षा करना था।
बैठक के दौरान सीडीओ आकांक्षा कोंडे ने विभागीय लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए दो ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों का वेतन रोके जाने के स्पष्ट निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि शासन द्वारा चलाए जा रहे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में किसी भी प्रकार की लापरवाही या शिथिलता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने अधिकारियों को कार्यों में गति लाने और निर्धारित समयसीमा में लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित करने को कहा।
यूसीसी पंजीकरण में तेजी लाने के निर्देश
मुख्य विकास अधिकारी ने यूनिफार्म सिविल कोड से जुड़े पंजीकरण कार्यों की प्रगति की समीक्षा करते हुए इस दिशा में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने पंजीकरण दर में वृद्धि के लिए एक व्यापक जन-जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि नागरिकों को यूसीसी की जानकारी देने, इसके लाभ समझाने और पंजीकरण की प्रक्रिया सरल बनाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए।
सीडीओ ने सभी उप रजिस्ट्रारों को निर्देशित किया कि वे अपने-अपने क्षेत्र में लंबित प्रकरणों की गहन समीक्षा करें और उनका शीघ्र, समयबद्ध और विधिसम्मत निस्तारण सुनिश्चित करें। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यूसीसी मामलों के समाधान में किसी भी स्तर पर लापरवाही न हो।
इस संदर्भ में अधिकारियों को विधिक और प्रशासनिक पहलुओं की जानकारी देने के लिए विशेष प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य था कि अधिकारी जमीनी स्तर पर आने वाली जटिलताओं को समझें और उसका समाधान कानून और प्रशासनिक नियमों के तहत करें।
यूसीसी मामलों के लिए प्रशिक्षण और मार्गदर्शन
बैठक में उपस्थित अपर जिलाधिकारी (एडीएम) अभिषेक चौहान ने भी अधिकारियों को यूसीसी से संबंधित मामलों के उचित समाधान के लिए जरूरी दिशानिर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों को मार्गदर्शन प्रदान करते हुए कहा कि हर प्रकरण को गंभीरता से लें और नागरिकों की संतुष्टि को प्राथमिकता दें।
उन्होंने कहा कि यूसीसी के तहत मिलने वाली शिकायतों और अनुरोधों को न केवल दस्तावेजों के आधार पर जांचा जाए, बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर संवाद बनाकर समाधान किया जाए। इससे शासन और जनता के बीच विश्वास भी मजबूत होगा।
खेल उदय कार्यक्रम पर विशेष ध्यान
बैठक का दूसरा महत्वपूर्ण भाग खेल उदय कार्यक्रम की समीक्षा से जुड़ा था, जिसे नीति आयोग द्वारा प्रायोजित किया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में खेल सुविधाओं को बेहतर बनाना और बच्चों एवं युवाओं को खेलों के प्रति प्रेरित करना है।
सीडीओ आकांक्षा कोंडे ने समीक्षा करते हुए कहा कि खेल सुविधाओं को केवल औपचारिकता तक सीमित नहीं रखा जाए, बल्कि उन्हें राष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता के अनुरूप बनाया जाए। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि विद्यालय स्तर पर खेल उपकरणों और मैदानों की देखभाल की जिम्मेदारी सीधे-सीधे विद्यालय के प्रधानाचार्यों को दी जाए। साथ ही, उन्होंने कहा कि खेल गतिविधियों की निगरानी और प्रशिक्षण की जिम्मेदारी संबंधित खेल विभाग की होगी।
उन्होंने सुझाव दिया कि बच्चों को खेलों में रुचि लेने के लिए प्रारंभिक स्तर से ही प्रशिक्षण दिया जाए और स्थानीय स्तर पर प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएं। इससे न केवल प्रतिभाओं को मंच मिलेगा बल्कि खेल संस्कृति को भी बढ़ावा मिलेगा।
अधिकारियों की उपस्थिति
इस महत्वपूर्ण बैठक में कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। मुख्य शिक्षा अधिकारी के.के. गुप्ता, जिला क्रीड़ा अधिकारी शाबाली गुरुंग, सुभाष सिंह समेत अन्य विभागीय अधिकारी बैठक में मौजूद रहे और उन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की।
सीडीओ ने सभी अधिकारियों से स्पष्ट रूप से कहा कि वे जिम्मेदारी से कार्य करें और किसी भी योजना में ढिलाई ना बरती जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि किसी भी स्तर पर लापरवाही या देरी पाई गई तो संबंधित अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी
हरिद्वार में आयोजित इस समीक्षा बैठक में प्रशासन की योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर जो स्पष्टता और गंभीरता दिखाई दी, वह दर्शाता है कि शासन जनहित के मुद्दों को लेकर सजग है। यूनिफार्म सिविल कोड और खेल विकास जैसे अहम विषयों पर गहराई से विचार कर उनके प्रभावी संचालन की दिशा में प्रशासन निरंतर प्रयासरत है।