Demo

RSS, history,full form : RSS इस वक़्त देश (rss india) ही नही बल्कि दुनिया भर के सबसे बड़े गैर राजनीतिक संगठनों में सबसे उप्पर है। आरएसएस या संघ (rashtriya swayamsevak sangh) के बारे को कई लोग देश और भारतीय संस्कृति के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानते है तो वही कुछ लोग संघ ( RSS ) को देश के लिए बड़ा खतरा मानते है।लेकिन कुछ भी हो अपने गठन को 100 वर्ष पूरे करने जा रहा संघ अभी भी प्रासंगिक बना हुआ है तो कुछ तो उसमें खास होगा ही।इसलिए आज हम आपको संघ की शुरुआत से अबतक की कहानी बताने जा रहे है।

आरएसएस का पूरा नाम क्या है (RSS full form in hindi )

RSS का पूरा नाम राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ है।कई लोग आरएसएस को संघ के नाम से भी जानते है।कई लोग सोचते है कि संघ सिर्फ बीजेपी तक सीमित है।लेकिन ऐसा है नही। बल्कि संघ ( RSS ) बीजेपी या एक संगठन से कई गुना अधिक है।

आरएसएस का इतिहास ( RSS history )

संघ का इतिहास ( RSS history ) बेहद ही रोचक है. आज के समय में संघ भारतीय समाज में इस प्रकार से घुल चुका है कि आप कही न कही से संघ के संपर्क में आ ही जाते है। कई लोग कहते है की संघ दिखता नही है लेकिन है सब जगह। आज संघ के प्रसार को आप इस बात से समझ सकते है कि इस वक़्त दुनिया के 40 देशों में संघ काम कर रहा है। पूरे देश में संघ की कुल 60 हजार से भी अधिक शाखाएं मौजूद है।इस वक़्त RSS के करीब 1 लाख 75 हजार सेवा प्रकल्प भी चल रहे है। लेकिन जब संघ की शुरुआत हुई थी तो उस वक़्त संघ इतना बड़ा नही था।

संघ की शुरुआत

आज से 95 साल पहले यानी साल 1925 की विजया दशमी के दिन डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने संघ की शुरुआत की थी। तब डॉक्टर हेडगेवार ने महाराष्ट्र के नागपुर के संघ मुख्यालय (rss office) से संघ ( RSS ) की शुरुआत की थी।आपको बतादें की उस वक़्त नागपुर सेंट्रल प्रोविंस की राजधानी हुआ करती थी। आज के समय में संघ और कांग्रेस एक दूसरे के विपक्षी माने जाते है लेकिन संघ की शुरुआत से पहले संघ के संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार कांग्रेस में ही हुआ करते थे। कांग्रेस के नेतृत्व में डॉक्टर हेडगेवार आजादी के आंदलोन में अपने कॉलेज के समय से ही शामिल हुए करते थे। आरएसएस की शुरुआत के बाद भी डॉक्टर हेडगेवार जेल गए।

डॉक्टर हेडगेवार हमेशा हिंदुओं को एकजुट करना चाहते थे इसलिए उन्हौने संघ ( RSS ) की शुरुआत में ही ‘ एकशः संपत ‘ का नारा दिया था जिसका अर्थ होता हैएक पंक्ति में खड़े रहो। जिस वक्त देशभर में जातिवाद चरम ओर रहता था तब भी संघ ने लोगों को एकजुट होने का संदेश दिया और छुआछूत से लोगों को दूर किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शुरुआत करने वाले डॉक्टर हेडगेवार हमेशा कहा करते थे कि अंग्रेज भले ही हिंदुस्तान छोड़कर चले जाएंगे लेकिन हमको यह समझना होगा कि हम गुलाम क्यों हुए थे हेडगेवार भारत की गुलामी का कारण भारतीयों के द्वारा भारतीय होने की पहचान और सांस्कृतिक एकता को बरकरार रख पाना मानते थे वह कहते थे कि हमने अपनी सांस्कृतिक एकता और पहचान पर ध्यान नहीं दिया और इसीलिए हम गुलाम हुए।

हम सभी जानते हैं कि r.s.s. हमेशा हिंदू राष्ट्र बनाने की बात करता है लेकिन इसके बावजूद भी संघ कभी भारत की धार्मिक आजादी के खिलाफ नहीं रहा संघ अन्य सभी धर्मों के लोगों को उनकी पूजा पद्धति अपनाने से नहीं रोकता है कई लोग संघ को मुसलमानों के खिलाफ मानते हैं और कहते हैं कि संघ में मुसलमान अछूत हैं लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है संघ ( RSS ) में मुसलमानों के लिए भी मुस्लिम राष्ट्रीय मंच बनाया गया है। संघ परिवर्तन पर विश्वास रखता है संघ मानता है कि परिवर्तन ही एक ऐसी चीज है जो हमेशा स्थाई रहती है इसलिए संघ समय के साथ खुद को परिवर्तित करते रहता है और यही कारण है कि संघ अभी तक प्रासंगिक भी बना हुआ है।

RSS पर लगाए गए प्रतिबंध

अपनी शुरुआत से अभी तक संघ पर 3 बार प्रतिबंध लग चुके है।पहली बार RSS पर प्रतिबंध गांधी जी की हत्या के बाद लगा था।31 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे के द्वारा महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी गई इसके बाद सरकार के द्वारा संघ ( RSS ) समेत कई हिंदूवादी संगठनों पर कार्यवाही तेज कर दी 7 फरवरी 1948 को नेहरू सरकार के द्वारा संघ पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। संघ के कई बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था खुद गुरु गोलवलकर को प्रतिबंध लगाने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था हालांकि 1 साल से भी अधिक का प्रतिबंध लगाने के बाद 11 जुलाई 1949 को संघ से पाबंदी हटा दी गई और RSS पर लगाए गए सभी आरोपों को गलत बताया गया।

संघ पर दूसरी बार प्रतिबंध साल 1975 में लगाया गया था। साल 1975 को भारतीय इतिहास और भारतीय लोकतंत्र के काले वर्ष के रूप में भी देखा जाता है क्योंकि साल 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के द्वारा निजी स्वार्थों के कारण देश में इमरजेंसी थोप दी गई थी और इस दौरान कई राजनीतिक संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिए गए थे राजनेताओं को लगातार गिरफ्तार किया जा रहा था उन्हें जेल में घुसा जा रहा था और तभी संघ पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था लेकिन संघ ( RSS ) ने आपातकाल के दौरान जिस तरीके से काम किया उसकी हमेशा तारीफ होती है।

संघ पर तीसरी बात प्रतिबंध बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद लगा। 6 दिसंबर में 1992 को कारसेवकों के द्वारा बाबरी मस्जिद ढहा दी गई इसके बाद तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार के द्वारा संघ ( RSS ) पर कार्यवाही करते हुए संघ को दोषी करार दिया और उस पर प्रतिबंध लगा दिया हालांकि इस बार भी संघ पर प्रतिबंध ज्यादा दिन टिक नहीं पाया और संघ पहले से और अधिक मजबूत हो गया।

ये भी पढ़ें : raja harishchandra story in hindi : राजा हरिश्चंद्र के राजा से रंक बनने की कहानी

संघ के सभी संघ प्रमुख ( RSS chief or rss leader )

सरसंघचालक डॉक्टर हेडगेवार

सरसंघचालक डॉ हेडगेवार संघ ( RSS ) के पहले प्रमुख थे डॉ केशव बलिराम हेडगेवार ने संघ की स्थापना की थी डॉक्टर हेडगेवार आजादी के आंदोलन में भी शामिल रहे और उन्होंने साल 1925 से लेकर साल 1940 तक संघ की कमान संभाली।

सरसंघचालक गुरु गोलवलकर

संघ के दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिव राव गोलवलकर जिन्हें लोग गुरु गोलवलकर भी कहते थे गुरु गोलवलकर संघ के सबसे प्रभावशाली संचालकों में से एक हैं साल 1940 में डॉक्टर हेडगेवार की मृत्यु के बाद गुरु गोलवलकर को संघ का पदभार सौंपा गया गुरु गोलवलकर का अधिक झुकाव आध्यात्म की ओर रहता था जहां डॉक्टर हेडगेवार ने संघ की शुरुआत की तो वही गुरु गोलवलकर ने संघ को खड़ा करने में अहम योगदान दिया सरसंघचालक गुरु गोलवलकर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय मैं प्रोफेसर हुआ करते थे उसके बाद उनका अध्यात्म की ओर झुका हुआ और वह अपने गुरु के पास आ गए इसके बाद वे संघ के संपर्क में आए और सरसंघचालक बने और अपनी मृत्यु के दिन यानी कि 5 जून 1973 तक संघ पे प्रमुख रहे। जहां डॉक्टर हेडगवार संघ को राजनीति से दूर रखना चाहते थे तो वही गुरुजी भी यही मानते थे लेकिन प्रतिबंध के बाद ही गुरु गोलवलकर के मार्गदर्शन के बाद जनसंघ की शुरुआत हुई जो बाद में जाकर बीजेपी के रूप में विकसित हुआ। इसके साथ ही 1963 में गुरु गोलवलकर के सरसंघचालक रहते हुए ही विश्व हिंदू परिषद की भी स्थापना की गई थी।

सरसंघचालक बालासाहब देवरस

यह बात तय थी कि गुरु गोलवलकर के पंचतत्व में विलीन होने के बाद उनका पदभार बाला साहब देवरस ने ही संभालना था और ऐसा ही हुआ अभी जून 1973 में नागपुर में बाला साहब देवरस को सरसंघचालक चुना गया बालासाहेब देवरस उन स्वयंसेवकों में से थे जो संघ की शुरुआत से डॉ हेडगेवार के साथ जुड़े हुए थे और डॉक्टर हेडगेवार के प्रिय स्वयंसेवकों में से एक थे। बाला साहब देवरस को संघ को मजबूत करने और जन जन तक पहुंचाने के लिए जाना जाता है। उनका व्यक्तित्व इतना आकर्षक था कि जो भी उनका विरोधी उनसे मिलता था वह संघ के बारे में उसकी सभी धारणाओं को भूल कर संघ से जुड़ जाता था विनोबा भावे और जयप्रकाश नारायण इसके बड़े उदाहरण हैं संघ में बाला साहब देवरस से पहले सरसंघचालक उनकी मृत्यु के बाद ही बदले गए थे लेकिन बाला साहब देवव्रत ने अपने जिंदा रहते हुए रज्जू भैया को सरसंघचालक बनाया बाला साहब देवरस हमेशा से संघ को राजनीति से दूर ले जाने के खिलाफ थे। बाला साहब देवरस ने अपने पूरे कार्यकाल में दलितों के उत्थान का भी काम किया उन्होंने यह साबित किया किसान दलितों के खिलाफ नहीं है और दलितों को समाज में उचित स्थान दिलाने के लिए उन्होंने निरंतर संघर्ष किया।

उनके बारे में एक बड़ी रोचक कहानी है जब बाला साहब युवा हुआ करते थे और संघ से जुड़ गए थे तो कई स्वयंसेवक उनके घर में जाकर खाना खाया करते थे क्योंकि बाला साहब देवरस एक ब्राह्मण परिवार से थे तो उनकी माता उनके साथ आने वाले दलितों को उनके साथ खाना खिलाने में संकोच करती थी लेकिन बाला साहब देवरस खुद दलितों के साथ बैठते थे और अपनी मां से कहते थे कि हमें एक साथ खाना परोसा पहले उनकी मां थोड़ा नाराज होती थी लेकिन जब बाला साहब देवरस नहीं माने तो मां को भी अपनी जिद छोड़नी पड़ी और तबसे बाला साहब देवरस ब्राह्मण होने के बावजूद भी दलितों के साथ बैठकर खाना खाया करते थे। बालासाहब देवरस ने संघ में व्यक्ति ओर ध्यान देने के बजाय व्यक्तित्व पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी।

इन तीन सरसंघचालकों के बाद रज्जू भैया सरसंघचालक बने। रज्जू भैया का पूरा नाम प्रोफेसर राजेन्द्र सिंह को सर संघचालक बनाया गया। उसके बाद के सुदर्शन संघ प्रमुख बने और उसके बाद वर्तमान सरसंघ चालक डॉक्टर मोहन भागवत संघ के प्रमुख बने। इन सभी ने डॉक्टर हेडगेवार, गुरु गोलवलकर और बालासाहब देवरस के कार्यों को आगे बढ़ाने का काम किया।

ये भी पढ़ें- kasar devi mandir: कसार देवी मंदिर जिसके सामने विज्ञान भी नतमस्तक

संघ के अनुसार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अर्थ ( Meaning of RSS )

संघ के लिए RSS का फूल फॉर्म केवल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही नही है बल्कि प्रत्येक शब्द का एक अलग अर्थ है।

राष्ट्रीय: जिसकी अपने देश, उसकी परम्पराओं, उसके महापुरुषों, उसकी सुरक्षा और समृद्धि के प्रति अव्याभिचारी एवं एकान्तिक निष्ठा हो, जो देश के साथ पूर्णरूपेण भावनात्मक मूल्यों से जुड़ा हो, वह राष्ट्रीय है। हिन्दू ही राष्ट्रीय है।

स्वयंसेवकः स्वयं प्रेरणा से राष्ट्र, समाज, देश, धर्म और संस्कृति की सेवा करनेवाले व उसकी रक्षा कर उसकी अभिवृद्धि के लिए प्रामाणिकता और निःस्वार्थ बुद्धि से कार्य करने वाले को स्वयंसेवक कहते हैं। एक बार स्वयंसेवक, सदा स्वयंसेवक।

संघ: समान विचार वाले, समान लक्ष्य को समर्पित, परस्पर आत्मीय भाव वाले व्यक्तियों के निकट आने से बना संगठन। यह सभी एक ही पद्धति, रीति व पूर्ण समर्पण भाव से काम करते हैं।

संघ के संगठन

वैसे तो संघ के काफी संगठन है और सभी अपने छेत्र में बेहतरीन काम लार रहे है।लेकिन आज हम आपको कुछ प्रमुख संगठनों के बारे में बताएंगें।

ABVP

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद देश ही नही बल्कि दुनिया के सबसे बड़े छात्र संगठनों में से है।इसकी शुरुआत बलराज मधोक के द्वारा 9 जुलाई 1949 को की गई थी। संघ के द्वारा ABVP की शुरुआत छात्रों के बीच बढ़ रहे वामपंथियों के वर्चस्व को रोकना था और विद्यार्थी परिषद इसपर खरा भी उतरा। आपातकाल के दौरान भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने सराहनीय काम किया जिससे वह छात्रों के बीच और भी अधिक प्रासंगिक हो गया। साल 1970 में ABVP में 1 लाख 60 हजार कार्यकर्ता थे जो साल 1983 तक 2 लाख 50 हजार को पार कर गए थे और 2016 तक ABVP के कुल कार्यकर्ताओं की संख्या 31 लाख के पार पहुंच गईं

VHP

विश्व हिंदू परिषद की शुरुआत साल 29 अगस्त 1964 में कई गयी थी। इस दिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी थी। VHP की शुरुआत भी संघ के द्वारा ही कि गयी थी। इसका उद्देश्य विश्व भर में हिंदुओं को एकत्रित करता और उन्हें एकजुट करना है। विश्व हिंदू परिषद ने राम जन्मभूमि आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

जनसंघ

जनसंघ की शुरुआत साल 1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी के द्वारा की गई थी। जनसंघ की शुरुआत का श्रेय तत्कालीन सरसंघचालक गुरु गोलवलकर को भी जाता है। जनसंघ ने कॉन्ग्रेस की नीतियों के खिलाफ 1951 से ही चुनाव लड़ा. हालांकि साल 1977 में जनसंघ को समाप्त कर दिया गया था। अटल बिहारी वाजपेयी, आडवाणी , पंडित दीनदयाल उपाध्याय, श्याम प्रसाद मुखर्जी जनसंघ के बड़े नेता थे।

ये भी पढ़ें- संघ की शुरुआत डॉ केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी।

BJP

RSS  full form, history: जानिए RSS का इतिहास

वर्तमान समय में देश की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (rss-bjp)की शुरुआत साल 1980 में हुई थी। साल 1977 में आपातकाल हटने के बाद जब पहली बार चुनाव हुए तो अलग-अलग दलों से मिली हुई जनता पार्टी की सरकार बनी। संघ के द्वारा भी जनसंघ का विलय जनता पार्टी में कर दिया गया। लेकिन जनता पार्टी की सरकार ज्यादा समय तक नहीं टिक पाई और इसके बाद भारतीय जनता पार्टी अस्तित्व में आई। पहली बार 1984 में चुनाव लड़ने वाली भारतीय जनता पार्टी पहले चुनाव में सिर्फ 2 सीटें ही ला पाई थी और अभी के समय पर पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता पर काबिज है और न सिर्फ केंद्र की सत्ता पर काबिज है बल्कि देश के अधिकतर राज्यों में भी बीजेपी की सरकार है।

संघ से जुड़े कुछ सवाल ( FAQs about RSS )

What does RSS mean?

RSS एक हिंदूवादी संगठन है. इसका अर्थ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है.

Why is RSS banned?

RSS पर 3 बार ban लगा है. इसमें पहली बार साल 1948 में गाँधी जी की हत्या के बाद लगा.दूसरी बार RSS ban आपत्काल के वक़्त हुआ.वही तीसरी बार बाबरी मस्जिद गिराने के आरोप में ban हुआ।

Is BJP a part of RSS?

BJP RSS का ही पार्ट है लेकिन ये स्वतंत्र रूप से कार्य करता है.

Can a girl join RSS?

RSS में महिलाएं भी जुड़ सकती है। संघ में महिलाओं के लिए राष्ट्रीय सेविका मंच है. इसके साथ ही ABVP, BJP में भी महिलाऐं बड़ी भूमिका निभाती है.

संघ की शुरुआत कब हुई थी।

संघ की शुरुआत साल 1925 में हुई थी। इसकी शुरुआत नागपुर से हुई थी।

संघ के मुस्लिम संगठन का क्या नाम है।

संघ के मुस्लिम संगठन का नाम मुस्लिम राष्ट्रीय मंच है।

RSS की शुरुआत किसने की थी।

संघ की शुरुआत डॉ केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी।

ये भी पढ़ें- kasar devi mandir: कसार देवी मंदिर जिसके सामने विज्ञान भी नतमस्तक

Share.
Leave A Reply