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Farmers protest: 17 सितंबर 2020 ये वो तारीख है जिस दिन केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra modi government ) के द्वारा तीन कृषि कानून ( 3 farm laws ) संसद में पारित किए गए. इन तीनों कृषि कानूनों के पारित होने के बाद से ही किसान लगातार आंदोलनरत हो गए देशभर में किसानों का गुस्सा सरकार के खिलाफ फूट उठा. अलग-अलग किसान संगठनों ने मिलकर संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) बनाया और उस के बैनर तले आंदोलन करने लगे और आज 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra modi ) के द्वारा इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया गया है तो चलिये एक बार जानते हैं कि इस किसान आंदोलन (farmers protest ) की शुरुआत से लेकर अंत तक क्या-क्या घटनाएं घटित हुई।

तारीख थी 17 सितंबर 2020 संसद का मानसून सत्र चल रहा था, इस दौरान केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार संसद में तीनों कृषि कानूनों को पेश करती है और उन्हें पारित भी करा लेती है ।

क्या थे ये तीनों कृषि कानून (what are three farm laws ) –

पहला कानून था कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य संवर्धन और सुविधा विधेयक 2020. इसके मुताबिक किसान सम्पूर्ण भारत में कहीं भी जाकर अपनी फसल बेच सकता है वह दूसरे राज्यों में जाकर भी फसल की खरीद फरोख्त कर सकता था

दूसरा कानून था मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं का कृषक सशक्तिकरण एवं संरक्षण अनुबंधन विधेयक 2020. और ये कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग पर आधारित था.

तीसरा कानून था आवश्यक वस्तु संशोधन बिल 1955 मैं बना आवश्यक वस्तु अधिनियम। जिसमें से सरकार के द्वारा अब खाद्य, तेल, तिलहन, दाल, प्याज और आलू जैसे कृषि उत्पादों पर से स्टॉक लिमिट हटाने का फैसला लिया गया था।

इन तीनों कानूनों के पास होने के बाद कानूनों का विरोध होगा ये तो सरकार को पता होगा, लेकिन ऐसा विरोध होगा कि कानून वापस लेने पड़ेंगें ये नरेंद्र मोदी सरकार ने नही सोचा होगा। इस कानून के पास होते ही देशभर में किसान आंदोलनरत (farmers protest ) हो जाते हैं. सरकार के खिलाफ अलग-अलग राज्यों में प्रदर्शन शुरू हो जाते हैं और इन तीनों कृषि कानूनों को काला कानून बता दिया जाता है। अभी तक किसान अलग-अलग राज्यों में प्रदर्शन कर रहे होते हैं लेकिन 25 नवंबर आते आते सभी कृषि मंडियों जिला मजिस्ट्रेट के दफ्तरों और सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे किसान दिल्ली कूच करने का ऐलान कर देते हैं।

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दिल्ली की और बढ़ते है किसान।

दिल्ली के लिए बढ़ रहे किसानों को रोकने की कोशिश होती है। रास्ते में किसानों पर वाटर कैनन से पानी की बौछार भी होती है. अलग-अलग स्थानों पर किसानों को रोकने का प्रयत्न भी होता है. किसान दिल्ली पहुंचना चाहते हैं, लेकिन उन्हें अलग-अलग बॉर्डर पर रोक लिया जाता है. जिसके बाद किसान उन बॉर्डर पर ही बैठ जाते हैं और वहीं पर रास्ता जाम कर के आंदोलन (farmers protest ) शुरू कर देते हैं। यह प्रदर्शन अन्य प्रदर्शनों से कुछ हटके था क्योंकि यहां से कई ऐसी तस्वीरें आई जो आमतौर पर प्रदर्शनों में देखने को नहीं मिलती है सभी बोर्डरों पर खाने के पर्याप्त इंतजाम किए गए थे, अलग-अलग प्रकार के पकवान बनाए जा रहे थे, जिम चल रहे थे, कसरत चल रही थी, नाच गाना चल रहा था और इसके साथ ही सरकार के साथ बातचीत भी चल रही थी।

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26 जनवरी को लालकिले पर हुई शर्मनाक घटना

सरकार के साथ 11 दौर की बातचीत हो चुकी थी लेकिन कुछ भी निर्णय निकलर सामने नही आ पा रहा था। न सरकार पीछे हटने को तैयार थी और न ही किसान नेता जिस वजह से आंदोलन (farmers protest ) जस का तस बना हुआ था. लेकिन इसके बाद तारीख आती है 26 जनवरी 2021, सारा देश गणतंत्र दिवस मना रहा होता है और किसान नेताओं के द्वारा दिल्ली की सड़कों पर ट्रेक्टर से मार्च निकालने की बात भी की गयी होती है. लेकिन जब सरकार से इजाजत नहीं मिली, तो किसानों ने तय किया कि किसान ट्रैक्टरों से हरियाणा और यूपी की सीमा से दिल्ली में घुसने की सांकेतिक घोषणा करके वापस अपने राज्यों में लौट जाएंगे। लेकिन जैसा किसान नेताओं के द्वारा कहा जा रहा था वैसा बिल्कुल भी नहीं हुआ.

पुलिस को चकमा देकर प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली की सड़कों पर घुसकर और उसके बाद जो हुआ वह बेहद चिंताजनक था. दिल्ली की सड़कों पर जमकर उत्पात हुआ लाल किले पर जमकर बवाल काटा गया,लाल किले की प्राचीर पर निशान साहिब लहरा दिया गया, जिसके बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच जमकर झड़प हुई. जिसमें अलग-अलग प्रकार की तस्वीरें सामने आई. जहां किसी तस्वीर में दिख रहा था कि प्रदर्शनकारी पुलिसवालों, सुरक्षाबलों पर लाठियां बरसा रहे हैं,उन्हें दौड़ा-दौड़ा कर पीट रहे हैं तो कहीं प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले फेंके गए. लाल किले में हुई घटना के दौरान एक युवक की मौत भी हुई.

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राकेश टिकैत के आंसुओं ने बचाया पूरा आंदोलन ( rakesh tikait saved farmers protest )

इस घटना के बाद सरकार फ्रंट फुट पर आ गई पर लगने लगा कि अब आंदोलन (farmers protest ) खत्म हो जाएगा। कई किसान ट्रैक्टरों से अपने घर वापस लौटने लगते हैं और किसान नेता भी हताश निराश होकर अलग-अलग प्रकार की बातें करने लग जाते हैं. लेकिन इसी दौरान कुछ ऐसा होता है जो इस पूरे आंदोलन (farmers protest ) को फिर से जीवंत बना देता है। और वह चीज जिसने इस आंदोलन (farmers protest ) को फिर से जीवंत बनाया वह राकेश टिकैत के आंसू। दरअसल 26 जनवरी की घटना के बाद 28 जनवरी को दिल्ली पुलिस के द्वारा राकेश टिकैत को नोटिस थमाया गया उन्हें परेड के दौरान तय की गई शर्तों को तोड़ने और किसानों को उकसाने के मामले में नोटिस जारी किया गया. टिकैत ने भी संकेत दे दिए थे कि आंदोलन (farmers protest ) खत्म कर दिया जाएगा और नरेश टिकैत ने भी गाजीपुर में धरना खत्म करने का ऐलान कर दिया था. बॉर्डर को छावनी बना दिया गया था, बड़ी संख्या में सुरक्षाबल वहां मौजूद थे, लेकिन तभी अचानक राकेश टिकैत मीडिया के सामने आते हैं और जमकर रोने लगते हैं. वह कहते हैं की किसान सीने में गोली खाएगा लेकिन पीछे नहीं हटेगा। तीनों कृषि कानून अगर वापस नहीं हुए तो वह आत्महत्या कर देंगे। राकेश टिकैत के यह शब्द और राकेश टिकैत के आंसू किसान आंदोलन के लिए एक संजीवनी बूटी साबित हुए और फिर से किसान बॉर्डर ऊपर लौट गए और आंदोलन (farmers protest ) जो थोड़ी देर के लिए थम सा गया था फिर से शुरू हो गया।

इस घटना के बाद राकेश टिकैत अलग-अलग राज्यों में जाकर बीजेपी के खिलाफ वोट ना करने की मांग करने लगे, जिसके बाद सरकार ने भी किसान नेताओं से और आंदोलन (farmers protest ) से दूरी बना ली. अलग-अलग राज्यों में चुनाव थे, इस वजह से अब किसान आंदोलन (farmers protest ) उतना Media और सुर्खियों में भी नहीं था. लेकिन किसान जो कानूनों को वापस करने की मांग कर रहा था वह बॉर्डर पर डटा हुआ था. इसके बाद तारीख आती है 19 नवंबर 2021 यानी आज की. गुरु नानक देव की जयंती के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशवासियों को संबोधित करते हैं और क्षमा मांगते हुए किसान कानूनों को वापस लेने की बात कहते हैं।

नरेंद्र मोदी सरकार के इस फैसले के बाद अलग-अलग प्रकार की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं वही राकेश टिकैत के द्वारा कहा गया है कि यह प्रदर्शन अब तभी समाप्त होगा जब सरकार उनकी कुछ और मांगों पर भी बातचीत करेगी और इन तीनों कृषि कानूनों को संसद से वापस लेने का फैसला लेगी। तो यह थी कृषि कानूनों के लागू होने से लेकर उन्हें वापस लेने तक की पूरी कहानी आपकी नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले को लेकर क्या राय है आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं.

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