Guru nanak jayanti 2021, gurupurab story in hindi : गुरु नानक देव भारतीय इतिहास के सबसे अधिक पूजनीय संतों में से एक है। गुरु नानक देव सिख धर्म के पहले गुरु और संस्थापक है। गुरु नानक जी का जीवन बेहद ही रोचक रहा है। उनके बचपन से लेकर उनके इस पृथ्वी पर अंतिम समय तक उन्हौने सभी की सेवा की। गुरु नानक देव जी के जीवन से बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है।इसलिए आज हम आपको बताएंगें गुरु नानक देव जी की कहानी , उनके जन्म से लेकर सिख धर्म के संस्थापक बनने तक कि कहानी, इसके साथ ही उनकी शिक्षा पर भी बात करेंगें।

क्या है गुरुपर्व (What is Gurupurab) :

गुरुपर्व का त्योहार सिखों का सबसे मत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। साल 2021 में गुरु पर्व ( Guru nanak jayanti 2021) 19 नवंबर को मनाया जाएगा। गुरुपर्व ( Gurupurab) सिखों के प्रथम गुरु और सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। सिख इस दिन (guru nanak birthday 2021) को गुरु नानक प्रकाश उत्सव के रूप में भी मनाते है।

गुरु नानक देव जी के बचपन की कहानी (Guru nanak childhood and birth date)

गुरु नानक देव भारतीय समाज ही नही पूरे विश्व के गुरु है। गुरु नानक देव ( Guru nanak dev ) का जन्म 29 नवंबर 1469 को हुआ था गुरु नानक देव का जन्म स्थान वर्तमान समय में पाकिस्तान के लाहौर मैं स्थित तलवंडी में हुआ था तलवंडी को इस वक्त सभी लोग ननकाना साहिब के नाम से जानते हैं। गुरु नानक देव के विचार बचपन से ही बहुत क्रांतिकारी और आश्चर्यचकित करने वाले थे इसके साथ ही समाज की कुरीतियों को मानने वालों को आईना दिखाने वाले भी थे इस पर हम नीचे बात करेंगे पहले जानते हैं गुरु नानक देव जी के परिवार के बारे में।

गुरु नानक देव का परिवार ( Guru nanak family )

गुरु नानक देव जी के परिवार में उनके पिता उनकी माता और एक बड़ी बहन थी गुरु नानक देव जी ( Guru nanak dev ) के पिता का नाम कल्याण चंद दास बेदी था और वह एक पटवारी हुआ करते थे जो तलवंडी गांव मैं फसल से होने वाली कमाई का ध्यान रखते थे और वे चाहते थे कि गुरु नानक देव भी उन्ही की तरह कान करके बड़े ओहदे तक पहुंचें। उनके पिता को लोग मेहता कालू के नाम से पुकारते थे वही गुरु नानक देव जी की माता का नाम माता तृप्ता था गुरु नानक देव जी का जन्म एक हिंदू क्षत्रिय परिवार में हुआ था।

गुरु नानक देव जी की एक बड़ी बहन ( Guru nanak dev elder sister ) भी थी जिनका नाम बेबे नानकी है। बेबे नानकी का विवाह उस वक्त सुल्तानपुर में रहने वाले जयराम से हुआ था। बेबे नानकी गुरु देव से 5 साल बड़ी थी। गुरु नानक देव अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे, इसलिए वे शादी के बाद उनके साथ रहने के लिए सुल्तानपुर चले गए। और वही पर 27 साल को उम्र में गुरु नानक जी को ज्ञान की प्राप्ति होती है।

गुरु नानक की कहानी ( Guru nanak story )

गुरु नानक की कहानी ( Guru nanak story )

गुरु नानक देव के जीवन से कहीं चमत्कारी कहानियां भी जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि गुरु नानक देव बचपन से ही क्यो ऐसे काम कर दिया करते थे जिससे यह समझ आ जाता था कि यह बच्चा कोई आम बच्चा नहीं है। गुरु नानक देव की आवाज में भी जादू था वह बचपन से ही भजन लिखा करते थे और जो भी उनके भजन सुनता था मंत्रमुग्ध हो जाता है। चलिये गुरु नानक देव के चमत्कारों के साथ उनकी कहानी ( stories of Guru nanak dev ) को समझते है।

गुरु नानक देव के चमत्कार ( Guru nanak mirracle )

गुरु नानक देव जी के जीवन से जुड़ा पहला चमत्कार ( guru nanak mirracle ) उनके बचपन के समय का है गुरु नानक देव के पिता ( father of Guru nanak dev ) मेहता कालू ने उन्हें स्कूल में भर्ती कराया जब नानक देव से उनके गुरु वर्णमाला का अक्षर लिखने के लिए बोलते हैं तो गुरु नानक नानक देव लिखते हैं भगवान एक है और जैसे ही उनके गुरु यह देखते हैं तो वे आश्चर्यचकित हो जाते हैं क्योंकि जिस समय गुरु नानक देव ने यह बात कही उस समय वह सिर्फ 5 साल के थे और तभी उनके गुरु को यह बात समझ आ गई यह बच्चा कोई साधारण बच्चा नहीं है।

लंगर : इस वक्त भी अगर कोई धर्म है सबसे अधिक सेवा सत्कार और गरीबों की सहायता करता है तो सिख धर्म उसमें सबसे उप्पर है। आज भी हर गुरुद्वारे में लंगर लगाए जाते हैं। इतना ही नहीं गुरु भक्त अलग-अलग स्थानों पर भी जरूरतमंदों के लिए लंगर लगाते हैं। लेकिन इसकी शुरुआत गुरु नानक देव ने 12 साल की उम्र में ही कर दी थी। एक कहानी के अनुसार जब गुरु नानक देव सिर्फ 12 वर्ष के थे तो उनके पिता ने उन्हें ₹20 दिए और कहा कि कुछ व्यापार करो। गुरु नानक देव जी 20 रुपया लेकर घर से निकलते हैं और उन रुपयों से कोई व्यापार नहीं करते, बल्कि उससे गरीबों को खाना खिलाने में खर्च कर देते हैं और जब उनके पिता उनसे पूछते हैं कि तुमने उन रुपयों का क्या किया तो गुरु नानक देव जवाब देते हैं कि मैं सच्चा सौदा करके आया हूं।

गुरुदेव का फसलों और खेतों वाला चमत्कार : एक बार की कहानी है कि गुरु नानक देव ( Guru nanak dev ) को उनके पिता ने कहा कि तुम जानवरों को लेकर जाओ और इन्हें चराकर लाओ। वे जानवरों को चराने को तो ले जाते हैं, लेकिन उन्हें वहां खुला छोड़ देते हैं। जिस वजह से जानवर खेतों की फसल नष्ट कर देते हैं। जिससे किसान नाराज होते हैं और वे उनके पिता के पास पहुंचते हैं और उनसे कहते हैं, कि आपका लड़का कोई जानवर नहीं चला रहा है, बल्कि भजन लिखने में और गाने में लगा हुआ है। जिस वजह से जानवरों ने हमारे पूरे फसल नष्ट कर दी है। इसको सुनकर मेहता कालू को गुस्सा आता है और वह उस स्थान पर जाते हैं, जहां गुरु नानक देव ( Guru nanak) जानवर चराने के लिए गए थे। लेकिन जब वे सभी लोग वहां पहुंचते हैं तो वह बेहद आश्चर्यचकित होते हैं। क्योंकि इन फसलों के नष्ट होने की बात किसान कर रहे थे वह फसल जो कि त्यों खड़ी थी और एक भी पौधा नष्ट नही हुआ था।

गुरु नानक देव को हुई ज्ञान की प्राप्ति ( what changed life of guru nanak dev )

जैसा कि हमने आपको पर भी बताया कि गुरु नानक देव अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे और इस वजह से उनके विवाह के बाद वह भी सुल्तानपुर अपनी बहन के साथ रहने के लिए चले गए जब गुरु नानक देव सुल्तानपुर गए तब उनकी उम्र 16 वर्ष थी गुरु नानक देव 16 वर्ष से 27 वर्ष तक सुल्तानपुर में ही रहे यानी कि साल 1475 मैं गुरु नानक देव की बहन का विवाह हुआ और 1496 तक वे सुल्तानपुर ( Guru nanak dev in sultanpur) में ही रहे। लेकिन 1496 में कुछ ऐसा होता है जो गुरु नानक देव की पूरी जिंदगी बदल देता है।

दरअसल गुरु नानक देव रोज पास की नदी में स्नान करने के लिए जाया करते थे और वहां ध्यान किया करते थे। ज्ञान प्राप्ति के दिन भी वह स्नान के लिए गए हुए थे।अमूमन गुरु नानक देव स्नान करके ध्यान करके घर वापस लौट आया करते थे, लेकिन इस दिन में 3 दिन तक जंगल में रहे और ध्यान लगाया और जब गुरु नानक देव वापस घर लौटे तो वो एक अलग ही व्यक्ति बन कर वापस आए। क्योंकि अब गुरुदेव को ज्ञान ( Guru nanak dev enlightement ) की प्राप्ति हो चुकी थी और ज्ञान प्राप्ति के बाद जो गुरु नानक देव की पहली सीख थी या जो पहले शब्द गुरु नानक देव के मुख से निकले थे वह थे कि “यहां न कोई हिंदू है और ना ही कोई मुसलमान है।” गुरु नानक देव कहते थे कि भगवान एक ही है और अपने इस संदेश को दुनियां भर में फैलाने के लिए गुरु नानक देव ने हजारों किलोमीटर का पैदल भृमण किया।

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गुरु नानक देव की पैदल यात्रा

Guru nanak jayanti 2021, gurupurab story in hindi :
Guru nanak jayanti 2021, gurupurab story in hindi :

जब गुरु नानक देव को ज्ञान की प्राप्ति हो गई तो उन्होंने अब देश ही नहीं दुनिया के अलग-अलग कोनों तक भृमण करने और अपनी शिक्षाओं को दुनिया के अलग-अलग कोनों तक पहुंचाने का निर्णय लिया गुरु नानक देव को हिंदी, फारसी, अरेबिक, पंजाबी समेत कई अलग-अलग भाषाओं का ज्ञान था इसलिए उन्होंने करीब 28000 किलोमीटर पैदल भ्रमण किया।

गुरु नानक देव ने अपनी पैदल यात्रा की शुरुआत 1500 ईस्वी में की थी। तब उन्होंने भारत और पाकिस्तान के अधिकांश हिस्सों आक्रमण किया था। यह यात्रा करीब 7 वर्ष तक चली थी। इसके बाद यात्रा के दूसरे पड़ाव में नानक देव श्रीलंका के दौरे पर गए और अपनी शिक्षाओं का प्रचार प्रसार किया।इसके बाद नानक देव की यात्रा का तीसरा पड़ाव सन 1514 ईसवी में शुरू हुआ। इस दौरान उन्होंने हिमालयी भागों का भ्रमण किया। जिस दौरान वे कश्मीर, नेपाल, ताशकंद, तिब्बत और सिक्किम पहुंचे। उनकी यह यात्रा करीब 5 साल चली और साल 1519 में जाकर उनकी यात्रा समाप्त हुई।

अपनी यात्रा के चैथे पड़ाव में गुरु नानक देव मध्य पूर्व मिडिल ईस्ट का दौरा करते हैं इस दौरान में मुसलमानों के पवित्र स्थल मक्का ( guru nanak devji in mucca ) भी जाते हैं। जहां गुरु नानक देव 3 सालों तक रहते हैं इसके बाद गुरु नानक देव अपनी यात्रा के अंतिम पड़ाव की ओर निकलते हैं और अपनी यात्रा के पांचवें पड़ाव में वे पंजाब में ही रहे और वहीं उन्होंने अपने शिक्षाओं के प्रचार प्रसार पर ध्यान दिया और यही गुरु नानक देव समाधि में लीन हुए। जिस स्थान पर गुरु नानक देव ने अपने जीवन का आखरी समय बिताया वह स्थान इस वक्त पाकिस्तान के पंजाब में स्थित करतारपुर साहिब है।

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गुरु नानक देव की शिक्षाएं ( Guru nanak teachings )

गुरु नानक देव जी की तीन शिक्षाएं सबसे प्रमुख मानी जाती है और वह शिक्षाएं हैं वंद चको, कीरत करो और नाम जपो। चलिये जानते है कि गुरु नानक अपनी शिक्षाओं ( Guru nanak teachings ) के माध्यम से क्या कहना चाहते थे।

वंद चको : वंद चको से गुरुदेव का मतलब था की गरीबों की मदद करो। वह हमेशा कहा करते थे कि जरूरतमंद और गरीबों की हमेशा मदद करनी चाहिए और यही शिक्षा उन्होंने आगे बढ़ाई और सिख धर्म के अनुयाई अभी भी इसका पालन करते हैं।

कीरत करो : कीरत करो से गुरु नानक देव का अर्थ अच्छे काम करने से होता था। वह कहते थे कि तुम्हें कोई गलत काम नहीं करना है, तुम कुछ भी कमाते हो तो अच्छे कर्म और इमानदारी से कमाओ। वर्तमान समय में हम देख रहे हैं कि लोगों में पैसा कमाने की भूख लगातार बढ़ती जा रही है और इस वजह से वह ईमानदारी और बेईमानी का फर्क ही भूल गए हैं

नाम जपना : नाम जपने से गुरु नानक देव का अर्थ था कि आपको ईश्वर का स्मरण करना है इसके साथ ही आपको पांच चीजों पर नियंत्रण भी रखना है यह पांच चीजें हैं काम क्रोध, लोभ, मोह और घमंड़। तो ये थी गुरु नानक देव की शिक्षाएं।

गुरु नानक देव यह भी कहा करते थे कि कोई भी व्यक्ति भगवान की प्राप्ति कर सकता है वह कहते थे कि अगर आप सही तरीके से आध्यात्म से जुड़ जाते हैं तो आपको भगवान की प्राप्ति हो जाती हैं। उनका यह भी मानना था कि भगवान की प्राप्ति के लिए आपको किसी पुजारी या किसी अन्य व्यक्ति की आवश्यकता नहीं है।

गुरु नानक देव का कहना था कि भगवान ने कई दुनिया बनाई है और उसमें जीवन भी वह अपने अनुयायियों से कहा करते थे कि अगर आपको भगवान की प्राप्ति करनी है तो आपको नाम जपते रहना है।

उस वक्त जब इंसान अपने धर्म को लेकर बहुत संवेदनशील रहता था उसके बावजूद भी गुरु नानक देव (teachings of guru nanak ) अपनी शिक्षाओं की वजह से हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के बीच काफी प्रचलित हो गए।

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गुरुपर्व की कहानी ( Story of gurupurab )

गुरुपर्व

सिख धर्म के अनुयाई ही नहीं बल्कि संपूर्ण भारत में प्रतिवर्ष गुरु पर्व मनाया जाता है। इसे प्रकाश उत्सव के नाम से भी जानते हैं। गुरु पर्व की तिथि प्रत्येक वर्ष बदलते रहती है हिंदू पंचांग के अनुसार गुरु पर्व कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन गुरु नानक देव का जन्म हुआ था और उनके जन्म दिवस को ही सिख धर्म के अनुयाई गुरु पर्व के रूप में मनाते हैं। गुरु पर्व के दिन से 3 दिन पहले से ही इसकी शुरुआत हो जाती है सिख धर्म के अनुयाई गुरुद्वारों से निकलकर प्रभात फेरी निकालते हैं और इसके साथ ही गुरुद्वारों में 48 घंटे तक बिना रुके अखंड पाठ किया जाता है।

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गुरु नानक का उत्त्तराधिकारी कौन था ( Who was the successor of guru nanak )

इस पृथ्वी को छोड़ने से पहले गुरु नानक देव ने अपने उत्तराधिकारी का ऐलान किया उन्होंने भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया।,जिनका नाम बदलकर गुरु अंगद किया गया। जिसका अर्थ होता है अपने शरीर का एक अंग। गुरु अंगद को उत्तराधिकारी घोषित करने के कुछ दिन बाद ही गुरु नानक देव ने देह त्याग दिया और वह स्वर्ग की यात्रा पर निकल गए.

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(guru nanak religion) : कई लोग गुरु नानक के धर्म के बारे में पूछते है. वैसे तो भारतीय समाज में कहा जाता है की जाती न पूछो साधू की. लेकिन अगर धर्म की बात करें तो गुरु नानक देव जन्म से तो हिन्दू थे लेकिन ज्ञान प्राप्ति के बाद वे सिख ही कहलाएंगें।

शब्द कीर्तन :

Dhan Guru Nanak - Non Stop Simran | Simran On The Name Of Guru Nanak Dev Ji | Amritt Saagar

Is Guru Nanak a God?

गुरु नानक भगवान नहीं थे बल्कि एक गुरु और महान संत थे. जिन्हौने ईश्वर तक पहुँचने का सच्चा रास्ता दुनियां को बताया

Who is Guru Nanak and what did he do?

गुरु नानक सिख धर्म के संस्थापक थे. उन्हौने समाज में फैली कई कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई। उन्हौने दुनिया को सन्देश दिया की ईश्वर एक ही है.

What did Guru Nanak say before he died?

मरने से पहले गुरु नानक देव करतारपुर पाकिस्तान पहुंचे। वहां उन्हौने अपने उत्तराधिकारी का चयन किया।

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