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देहरादून: उत्तराखंड में भू-कानून के उल्लंघन के मामले में राज्य सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। मनमाने ढंग से भूमि की खरीद और उसके गलत इस्तेमाल पर अब शासन स्तर से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने इस संबंध में आदेश जारी करते हुए सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को नगर निकाय क्षेत्रों से बाहर एक ही परिवार द्वारा 250 वर्गमीटर से अधिक भूमि खरीदने और उसके अन्य उपयोग के मामलों की रिपोर्ट तलब की है। यह रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर अनिवार्य रूप से जमा करनी होगी।

 

मुख्य सचिव द्वारा 7 अक्टूबर को जारी किए गए आदेशों में जिलाधिकारियों, मंडलायुक्तों और राजस्व परिषद आयुक्त एवं सचिव को निर्देश दिया गया कि वे भूमि खरीद के नियमों के उल्लंघन से जुड़े मामलों की जांच कर रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराएं। इसके साथ ही, 12.5 एकड़ से अधिक भूमि की खरीद में किए गए नियम उल्लंघन के मामलों की भी विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है, जो राजस्व परिषद के माध्यम से शासन को दी जाएगी।

 

मुख्यमंत्री का सख्त रुख

 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भू-कानून के प्रविधानों के उल्लंघन पर कड़ा कदम उठाते हुए कहा कि ऐसे मामलों में संबंधित भूमि को सरकार में निहित करने की प्रक्रिया शुरू की जाए। भू-कानून के अनुसार, यदि भूमि का गलत ढंग से उपयोग किया जाता है, तो उसे सरकार द्वारा अधिग्रहित किया जा सकता है।

 

भू-कानून में नियम और उनका उल्लंघन

 

उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (अनुकूलन एवं उपांतरण आदेश, 2001) के तहत वर्ष 2007 में किए गए संशोधन के अनुसार, कोई भी व्यक्ति अपने जीवनकाल में बिना अनुमति के अधिकतम 250 वर्गमीटर भूमि आवासीय प्रयोजन के लिए खरीद सकता है। हालांकि, शासन को यह जानकारी मिली है कि एक ही परिवार के विभिन्न सदस्य व्यक्तिगत रूप से इतनी ही भूमि खरीद रहे हैं, जिससे भू-कानून का उल्लंघन हो रहा है।

 

इसके अलावा, आवासीय प्रयोजन के लिए खरीदी गई भूमि का नियमों के विपरीत अन्य प्रयोजनों में उपयोग करने के मामले भी सामने आए हैं। अब जिलाधिकारी इन मामलों की विस्तृत जांच कर रिपोर्ट तैयार करेंगे और इसे राजस्व परिषद के माध्यम से शासन को भेजेंगे।

 

12.5 एकड़ से अधिक भूमि की खरीद के लिए अनुमति लेने की प्रक्रिया में भी कई अनियमितताएं उजागर हुई हैं। इन मामलों में खरीदी गई भूमि का अन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग करने की भी जांच की जाएगी।

 

  1. मुख्य सचिव ने सभी संबंधित अधिकारियों को इस विषय में स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा है कि वे निर्धारित प्रारूप में रिपोर्ट तैयार कर एक सप्ताह के भीतर शासन को प्रस्तुत करें ताकि नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जा सके और कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा सकें।
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