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उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने के बाद लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता मिल गई है। अब शादी किए बिना भी जोड़े कानूनी रूप से साथ रह सकते हैं, लेकिन इसके लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। राजधानी देहरादून में दो जोड़ों ने सबसे पहले यूसीसी पोर्टल पर लिव-इन में रहने के लिए आवेदन किया है। पुलिस उनके दस्तावेजों की जांच कर रही है, और अगर सब कुछ सही पाया जाता है, तो उन्हें साथ रहने की अनुमति मिल जाएगी।

 

लिव-इन में रहने के लिए पंजीकरण जरूरी

 

उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने के बाद लोग विवाह पंजीकरण, विवाह विच्छेद (तलाक), उत्तराधिकार, वसीयत आदि के लिए आवेदन कर रहे हैं। अब लिव-इन रिलेशनशिप पंजीकरण और लिव-इन रिलेशनशिप को खत्म करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। पंजीकरण के लिए आवेदन सीधे रजिस्ट्रार के पास जाएगा, जो जांच करने के बाद पुलिस को सत्यापन के लिए भेजेंगे।

 

पहले से लिव-इन में रह रहे हैं तो एक माह में कराना होगा पंजीकरण

 

अगर कोई जोड़ा पहले से लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहा है, तो उन्हें समान नागरिक संहिता लागू होने की तारीख से एक महीने के अंदर अपना पंजीकरण कराना होगा। वहीं, अगर कोई नया लिव-इन रिलेशनशिप शुरू कर रहा है, तो उन्हें रिश्ते में प्रवेश करने की तारीख से एक महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा।

 

रिश्ता खत्म करने की प्रक्रिया

 

अगर कोई साथी रिश्ता खत्म करना चाहता है, तो वह ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन कर सकता है। रजिस्ट्रार दूसरे साथी से इसकी पुष्टि करेगा। अगर महिला गर्भवती होती है, तो इसकी सूचना रजिस्ट्रार को देनी होगी। बच्चे के जन्म के 30 दिन के अंदर स्टेटस अपडेट कराना अनिवार्य होगा।

 

पंजीकरण नहीं कराने पर सजा

 

अगर कोई जोड़ा लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण नहीं कराता है, तो उन्हें छह महीने की जेल या 25,000 रुपये जुर्माना, या दोनों सजा हो सकती है।

 

पंजीकरण के बाद मिलेगी रसीद

 

लिव-इन में रहने वाले जोड़ों को पंजीकरण के बाद रजिस्ट्रार से एक रसीद मिलेगी। इसी रसीद के आधार पर वे किराये पर घर, हॉस्टल या पीजी में रह सकते हैं।

 

माता-पिता को दी जाएगी सूचना

 

पंजीकरण के बाद रजिस्ट्रार जोड़े के माता-पिता या अभिभावकों को इसकी सूचना देगा। लिव-इन में जन्मे बच्चे को उसी जोड़े की संतान माना जाएगा और उसे जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे।

 

पंजीकरण के लिए जरूरी दस्तावेज

 

महिला और पुरुष की तस्वीर

 

उत्तराखंड में निवास का प्रमाण

 

यदि बच्चा है तो जन्म प्रमाणपत्र

 

यदि बच्चा गोद लिया गया है तो गोद लेने का प्रमाणपत्र

 

अगर कोई तलाकशुदा है तो तलाक के दस्तावेज

 

यदि पहले का जीवनसाथी मृत्यु हो चुका है तो मृत्यु प्रमाणपत्र

 

अगर लिव-इन पार्टनर की मृत्यु हो चुकी है तो उसका मृत्यु प्रमाणपत्र

 

यदि घर साझा रूप से लिया गया है तो बिजली या पानी का बिल

 

किराये पर लिए गए घर के लिए किराया समझौता और मकान मालिक की एनओसी (अनापत्ति प्रमाणपत्र)

 

 

अब जो भी जोड़े लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहते हैं, उन्हें कानूनी प्रक्रिया का पालन करना

होगा ताकि वे बिना किसी परेशानी के साथ रह सकें।

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