उत्तराखंड में इस साल का बजट खर्च चुनाव आचार संहिता और मानसून के कारण धीमा हो गया है। पूंजीगत मद में इस साल पहली छमाही में मात्र 3140 करोड़ रुपये खर्च हो पाए हैं, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में काफी कम है। इससे सरकार पर वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में 11 हजार करोड़ रुपये खर्च करने का दबाव बढ़ गया है।
इस साल की शुरुआत में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते विभिन्न विकास कार्य रुक गए थे। इसके बाद मानसून ने निर्माण कार्यों को बाधित किया। इससे बजट खर्च की गति धीमी हो गई, जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 में इसी अवधि में 4800 करोड़ रुपये खर्च हो चुके थे। वर्तमान वित्तीय वर्ष में पूंजीगत मद में कुल 14,857 करोड़ का बजट रखा गया था, जिसमें से 4479 करोड़ रुपये अब तक विभागों को आवंटित हो चुके हैं, लेकिन खर्च मात्र 3140 करोड़ रुपये हो पाया है।
विभागों के मुताबिक, अप्रैल से जून तक आचार संहिता लागू होने के कारण विकास कार्यों की गति धीमी रही। आचार संहिता हटने के बाद मानसून ने निर्माण कार्यों में अड़चनें डाल दीं। इससे पहले के वित्तीय वर्षों में, पहली छमाही में बजट खर्च का रिकॉर्ड उतना नहीं था।
### कुछ विभागों का बजट खर्च
– **ग्राम्य विकास विभाग**: कुल बजट 1632 करोड़ रुपये में से 613 करोड़ आवंटित, और 565 करोड़ रुपये ही खर्च हो पाए।
– **सिंचाई विभाग**: 1380 करोड़ के कुल बजट में से 547 करोड़ आवंटित, जिसमें से 484 करोड़ रुपये खर्च हुए।
– **लोक निर्माण विभाग**: कुल 1440 करोड़ के बजट में से 815 करोड़ आवंटित, और खर्च मात्र 598 करोड़ रुपये हुए।
### अन्य विभागों की स्थिति
शहरी विकास, आवास, और विद्यालयी शिक्षा जैसे विभाग पूंजीगत मद में बजट खर्च के मामले में काफी पीछे रहे। शहरी विकास विभाग को 774 करोड़ के बजट में से 201 करोड़ आवंटित किए गए, जिसमें से केवल 171 करोड़ ही खर्च हो पाए। इसी प्रकार, आवास विभाग को कुल 461 करोड़ में से 149 करोड़ आवंटित किए गए, जिनमें से 128 करोड़ ही खर्च किए जा सके। विद्यालयी शिक्षा के लिए 473 करोड़ के बजट में से 123 करोड़ आवंटित किए गए, और मात्र 109 करोड़ का खर्च हुआ है।
वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में, बजट खर्च में तेजी लाने के लिए अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं ताकि निर्धारित विकास कार्यों को पूरा किया जा सके।